मध्य प्रदेश की राजनीति और कांग्रेस में ‘हिन्दू’ बनने की होड़

2018-07-01 0

6 माह की नर्मदा पदयात्रा करने वाले दिग्विजय सिंह के बारे में अब सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि अब यह पॉजिटिव ज्यादा हैं। कांग्रेस के विचार विभाग से जुड़े भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं-‘जिस तरह उन्होंने भक्ति भाव से लगातार छह माह तक नर्मदा की पदयात्रा की है, उससे वे संत जैसे ही लगते हैं। अब लोग 2001-2002 दिग्विजय सिंह को याद नहीं करते, अब बात होती है नर्मदा यात्री दिग्विजय सिंह की। इस यात्रा से उन्हें धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ हो या न हो, लेकिन राजनीतिक लाभ तो हुआ ही है, ‘हिन्दू-विरोधी’ से पक्के ‘हिन्दू हो गए हैं। 

दरअसल, दिग्गी ही नहीं, प्रदेश के सभी बड़े नेताओं में ‘हिन्दू’ बनने की होड़ मची है। दिग्गी की नर्मदा यात्रा के समापन वसर पर उनसे आशीर्वाद लेने साध्वी उमा भारती भी जाने वाली थीं। किन्हीं कारणों से नहीं जा पाईं तो पत्र भेजा, कहा कि कुछ समय बाद आशीर्वाद लेने आउंगी। ये वही उमा भारती हैं,जिनका दिग्गी के साथ 36 का आंकड़ा था। बीजेपी के दमोह से लोकसभा सदस्य पूर्व केन्द्र मंत्राी प्रहलाद पटेल तो यात्रा में शामिल भी हुए। यात्रा के समापन अवसर पर भी अपने सगे भाई और प्रदेश में मंत्री जालम सिंह पटेल के साथ हाजिरी लगाई। सीएम शिवराज सिंह चौहान के सगे भाई नरेन्द्र सिंह चौहान ने यात्रा के दौरान दिग्गील के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। 

साफ है कि कल तक हिन्दू विरोधी कहे जाने वाले दिग्गी अब हिन्दू मान लिए गए हैं। और हिन्दू बनने और दिखाने की होड़ में हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उज्जेन के महाकाल मंदिर से परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने सीएम शिवराज के गृह जिले सीहोर की एक सभा में कहा, ‘‘मेरा परिवार अब तक दो सौ से ज्यादा मंदिर बनवा चुका है।’ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का हनुमान मंदिर में शंख बजाते हुए वीडिया वायरल किया जा रहा है। 

कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने भोपाल आए तो हवाई अड्डा कार्याय के बीच पड़ने वाले सभी मंदिरों में माथा टेकते नजर आए। इस कारण 12 किलोमीटर की यात्रा चार घंटे में पूरी हुई। हनुमान जयंती पर आयोजित शोभा यात्राओं में कांग्रेस के छोटे-बड़े सब नेता शामिल हुए। कांग्रेस नेताओं दिग्विजय, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य के चंदन-टीका वाले चित्र वायरल किए जा रहे हैं। लेकिन, कभी मुस्लिम हितैषी कहे जाने वाले दिग्विजय अब कांग्रेस के सबसे बड़े हिन्दू नेता के रूप में उभरे हैं। मध्यप्रदेश में नर्मदा के बारे में कहा जाता हे कि नर्मदा के दर्शन मात्र से पाप मिट जाते हैं। उनकी नर्मदा यात्रा प्रदेश के एक सौ बीस विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी, यानी इसी बहाने पुराने संबंध भी ताजा हो गए। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब लोग उनकी धर्मपत्नी अमृताराय को लेकर टीका-टिप्पणी नहीं करते। यात्रा में कदम से कदम मिलाकर चलने वाली अमृता राय अब ‘रानी साहिबा’ हो गई हैं। 

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जनता की प्रतिक्रिया से उत्साहित दिग्विजय ने कहा भी है, ‘‘मैं राजनीति हूं। सो, पकौडे़ तो तलूंगा नहीं, अब राजनीतिक यात्रा प्रारंभ करूंगा, कांग्रेस के नेताओं को जोड़कर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का काम करूंगा।’’ दिग्गी की राजनीतिक  यात्रा ओरछा से भगवान राज की पूजा के साथ 31 मई को शुरू हो गई। युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव श्रवण सिंह ठाकुर कहते हैं, ‘उनकी छवि बदल गई है। वे प्रदेश के किंग बन सकते हैं, नहीं बन पाए तो इतना तय है कि किंग उनकी पसंद का ही होगा।’’ कांग्रेस के नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश की राजनीति के अनिवार्य तत्व हैं। वे कांग्रेस के एकमात्र नेता हैं, जिनका पूरे प्रदेश में नेटवर्क है। कांग्रेस का कोई दूसरा नेता इस मामले में उनकी बराबरी नहीं कर सकता। वे प्रदेश कांग्रेस के एकमात्र अध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने संयुक्त प्रदेश के हर ब्लॉक में कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया था और उसमें शामिल हुए थे। 

राहुल गांधी ने दिग्विजय के यात्रा से लौटने तक कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष पर मुहर नहीं लगाई। उनसे बातचीत के बाद ही कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी। कहा यह भी जा रहा है कि दिग्गी की समझाइश पर ही कमलनाथ के हाथ कमान लगी, नहीं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया बाजी मार लेते। इस सहयोग का लाभ भी दिग्गी को मिल रहा है। कमलनाथ का नेटवर्क दो-चार जिलों में ही है, ऐसे में संगठन के फेरबदल में सर्वाधिक पद दिग्गी के लोगों को ही मिल रहे हैं।  

कहा यह भी जा रहा है कि उनके विधायक पुत्र जयवर्धन सिंह को युवा कांग्रेस की कमान मिलने वाली है। राहुल गांधी से जयवर्धन की मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। प्रदेश में चुनाव इस साल के अंत तक होंगे। कांग्रेस को सत्ता मिल जाएगी, यह भी तय नहीं है, स्वयं दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि वे सीएम नहीं बनेंगे, लेकिन राजा के लोगों को लग रहा है-अबकी बार फिर राजा की बारी। कांग्रेस नेता भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं ‘‘पार्टी साफ-साफ कह चुकी है कि चुने गए विधायक अपना नेता चुनेंगे, पर राजनीति में सब कुछ साफ कहां होता है। इधर हिन्दू ‘बनने’ की होड़ पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लोग सुविधा के अनुसार मंदिर जाते हैं। इस पर उनसे अब सवाल होना चाहिए।’’ पर सवाल करेगा कौन ?


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