घंटों इंतजार, फि़र धक्का-मुक्की और गालियां तब मिलता है पानी

घंटों इंतजार, फि़र धक्का-मुक्की और गालियां तब मिलता है पानी
मेरे तीन बच्चे हैं, विधायक जी से कहा कि पानी की दिक्कत है
तो बोले कि बच्चे कम पैदा किए होते तो पानी पूरा हो जाता। बताइए, कोई
ऐसे कहता है क्या?्य्य
विमलेश नाराजगी जताते हुए रुआंसी हो जाती हैं। विमलेश राजधानी दिल्ली
के हजारों लोगों में से हैं जो हर रोज स्वच्छ पानी के अभाव में स्वस्थ रहने की
लड़ाई लड़ रहे हैं। आपने चींटियों को मीठी चीज पर लिपटते देखा होगा। दिल्ली के कई
इलाकों में लोग कुछ उसी तरह पानी के टैंकरों पर झपटते हैं, गाली-गलौज होती
है, मारपीट होती है, दुश्मनी ठन जाती है, और
कई बार जान भी चली जाती है लेकिन किस्मत अच्छी रहती है तो बदले में पानी मिल जाता
है।
पानी भरने के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। बस आपको लोगों की भीड़
को चीरना आता हो और एक डिब्बा हटते ही दूसरा डिब्बा सरकाना आता हो। तीन साल के बच्चे से लेकर 60
साल के बुजुर्ग भी आपको यहां दिख जाएंगे। कुछ बच्चे तमाशा देखने भी आते हैं। पानी
के लिए होने वाली किच-किच उनके लिए तमाशे से कम नहीं है। लेकिन जो बच्चे पानी भरने
आते हैं उन्हें देखकर हैरत होती है, क्योंकि पानी भरने के बाद उनके डिब्बे
का वजन उनसे दो गुना होता है।
धक्का मुक्की भी होती है-खुशबू सुबह उठने के साथ ही डिब्बा लेकर लाइन
लगाने आ जाती हैं, हर रोज करीब दो घंटे इंतजार करती हैं, जब टैंक आता है
तो पानी भरकर किनारे खड़ी हो जाती हैं। उसके बाद घर का कोई बड़ा आकर डिब्बा ले जाता
है।
खुशबू बताती हैं, श्श्पानी भरते समय किसी को कुछ दिखता
नहीं है, न बच्चे और न औरत। सब पहले पानी भरना चाहते हैं। आराम से भरें तो भी
सबको मिल जाये लेकिन जल्दी रहती है।्य्य सच भी है, सुबह आदमी काम
पर जाये कि पानी भरे।
पानी के चक्कर में काम पर देरी- पैंट-शर्ट-शूज पहनकर पानी भरने एक
शख्स ने बताया कि काम पर तो जाना होता है लेकिन पानी के चक्कर में रोज देरी होती
है। दिल्ली के पूवÊ इलाके जैसा ही दूसरे इलाकों का भी हाल है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी
यही कहानी बयान करती है। इसके मुताबिक देश में करीब 60 करोड़ पानी की
गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। करीब दो लाख लोगों की हर साल स्वच्छ पानी न
मिलने की वजह से मौत हो जाती है। दिल्ली में ये परेशानी ज्यादातर उन इलाकों में है
जहां अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। यहां ज्यादातर घरों में पानी का कनेक्शन नहीं है
लेकिन न्यू अशोक नगर में कुछ घर ऐसे भी हैं जहां कनेक्शन तो है लेकिन नल में पानी
नहीं आता। पानी आता है तो गंदा और खारा। विमलेश बताती हैं कि उनकी गली में सबके घर
में सबमर्सिबल है। कुछ ही लोगों के घर कनेक्शन है लेकिन पानी नहीं मिलता।1श्श्मेरे
पति 9 हजार रुपए कमाते हैं, सबमर्सिबल कैसे लगावाए? पानी
न आने की शिकायत लेकर जल बोर्ड के पास गए, विधायक के पास गए लेकिन कुछ नहीं
हुआ।
बच्चों की शिकायत है कि छुट्टी होने के बावजूद उन्हें सुबह उठना पड़ता
है क्योंकि पानी भरना है। औरतों की शिकायत है कि पानी के लिए आदमियों के साथ धक्का-मुक्की
करनी पड़ती है और आदमियों को शिकायत है कि नौकरी के अलावा ये एक अलग सुबह-शाम की
ड्यूटी है।
ये आंकड़े डराते हैं
दिल्ली जलबोर्ड में काम करने वाली नेहा सिंह बताती हैं कि दिल्ली में
हर रोज 900 मिलियन गैलन पानी की खपत है लेकिन 875 से 870
मिलियन गैलन पानी की ही आपूर्ति हो पाती है। बकौल नेहा, श्श्जलबोर्ड की
पूरी कोशिश होती है कि दिल्ली के हर इलाके में पानी की आपूर्ति हो लेकिन गर्मियों
में समस्या हो जाती है।
वो कहती हैं कि दिल्ली का कोई अपना पानी का स्रोत नहीं है इसलिए
आपूर्ति के लिए उसे दूसरे राज्यों पर ही निर्भर होना पड़ता है। खासतौर पर हरियाणा
पर। सब जगह पानी पहुंच सके इसलिए जिन इलाकों में पहले सात से आठ टैंकर भेजे जाते
थे वहां अब पांच से छह टैंकर भेजे जाते हैं। श्श्दोनों हाथ में पानी का डिब्बा
लेकर दो मंजिला चढ़ना पड़े तो पता चले --- मुझे तो लगता है कि मैं पानी भरते-भरते ही
मर जाऊंगी।
दिल्ली जलबोर्ड दावे के अनुसार, दिल्ली में करीब
83 फीसदी घरों में पाइप लाइन की सुविधा है। इसके अलावा 407 नए
वॉटर टैंकर भी हैं। जो अनाधिकृत कॉलोनियों में पीने का पानी पहुंचाते हैं।
हालांकि पहली बार नहीं है जब गर्मियों में दिल्ली पानी की किल्लत से
जूझ रही हो। अगर दिल्ली से इतर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो शिमला भी पानी की कमी
से जूझ रहा है और आने वाले समय में ये समस्या और बढ़ सकती है। आयोग की रिपोर्ट को
आधार मानें तो 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल-वितरण की दो-गुनी हो जाएगी।
आयोग की 2016-17 अवधि की इस रिपोर्ट में गुजरात को
जल-संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के मामले में पहला स्थान दिया गया है। इसके बाद
मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सूची में हैं।
पानी को लेकर खराब स्थिति सिफ़र् भारत में ही नहीं है, आंकड़ों की मानें
तो दुनिया में करीब 85 करोड़ लोगों को साफ़ पानी तक नहीं मिल पाता है। हर नौ में से सिफ़र्
एक शख्स को ही साफ़ पानी नसीब होता है। दुनिया भर में औरतें 24
में से छह घंटे पानी भरते हुए गुजारती हैं।
श्श्टीचर कहती हैं एक दिन में सात से आठ गिलास पानी पिया करो। मां कहती है
सिफ़र् उतना ही पिया करो जिससे प्यास बुझ जाए, ताकि पानी कम न
पड़े्य्य वहीं हर 90वें सेकण्ड में एक बच्चे की मौत गंदे पानी की वजह से होती है। हर साल
10 लाख लोग पानी और सफ़ाई की कमी के चलते जान गंवा बैठते हैं। जहां ये
आंकड़े वैश्विक स्थिति बयान करते हैं वहीं दिल्ली की स्थिति को लेकर जल बोर्ड चाहे
जितने दावे कर ले लोगों की राय उससे जुदा ही है।