एक वन बेटियों को समर्पित

एक वन बेटियों को समर्पित
डॉ- जी-एल- महाजन
ऊना, (हिमाचल प्रदेश) उना जिला प्रशाशन ने इस वर्ष देश में अपनी किस्म
की एक अनूठी पहल करते हुए एक वन बेटियों को समर्पित्य किया है और जनसाधारण को
नारा दिया है- बेटी बचाओ, पेड़ लगाओ।' इसके पीछे उनकी सोच यही है
कि बेटियों के प्रति समाज का नजरिया और विकसित हो और पौधारोपण के लिए लोग आगे आएं
व पर्यावरण सरंक्षण में उनकी सहभागिता बढ़े। एक वन बेटियों को समर्पित करने की उनकी
इस पहल ने ऊना जिला के टकारला गांव को भी एक नया गौरव प्रदान किया है।
मेहतपुर-अंब राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगती 20 कनाल जमीन
में बरसात के सीज़न में जिला के सभी विभागों के अफ़सरों व स्थानीय जनता
की सहभागिता से विभिन्न प्रजातियों के 200 ऐसे पेड़ रोपे गए जो तेजी से आकार लेते
हैं। तीन साल की उम्र के 6 से 8 फ़ुट ऊंचे इन
पेड़ों की पौध को प्रदेश में पहली बार ऊना जिला में वन विभाग की नर्सरियों में
मनरेगा लेबर द्वारा तैयार किया गया है और अगले दो सालों के भीतर ये पेड़ वन का रूप
ले लेंगे। इस समय इस वन के साथ लोगों का भावनात्मक लगाव भी रहे और समाज के बीच
बेटियों के प्रति एक सकारात्मक सोच भी उत्पन्न होए इसके लिए उना जिला प्रशासन ने
यह पूरा वन बेटियों को समर्पित कर दिया है। लहराते इन पेड़ों को देखकर अब अपार खुशी
होती है। यहां कई होर्डिंग लगाए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से अपने वाहनों में
गुजरने वाले लोगों से यह अपील की गई है कि वे कुछ क्षण यहां रूकें और अपनी बोतलों
में बचे पानी को इन पेड़ों में भी डालकर पर्यावरण सरंक्षण में अपना योगदान दें।
बेटियों को समर्पित इस वन में रोपे गए पेड़ों को पशु नुकसान न पहुंचा
पायें, इसके लिए सीमेंट के 80 खंबे लगाकर पूरे वन क्षे= की तारबंदी
की गई है और लोगों के भीतर जाने के लिए एक रोटेशन वाला गेट लगाया गया है। इन पेड़ों
की पौध को चूंकि मनरेगा के तहत वन विभाग की नर्सरियों में तैयार किया गया है,
इसलिए
इस वन क्षे= को विकसित करने में स्थानीय पंचायत के साथ-साथ मनरेगा कार्यरत लोगों
की पूरी सहभागिता भी सुनिश्चित की जायेगी। वन विभाग ने इस वन की देखभाल के लिए
कर्मचारियों की तैनाती भी इस क्षे= में कर दी है और लोगों से अपील की गई है कि वे
स्वेच्छा से इसमें सहयोग करें।
उना जिला के टकाराला गांव में बेटियों को समर्पित यह वन तैयार करने
के लिए पौधारोपण की विधिवत तकनीक वन विभाग के आधिकारियों द्वारा उपस्थित लोगों को
सिखाई गई ताकि नर्सरी में तैयार किए गए इन पौधों को जमीन में रोपे जाते समय कोई
नुकसान न पहुंचे और ये नई जमीन में अपनी जड़ें सहजता से पकड़ सकें। इन पेड़ों को
लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों में पहले अच्छी किस्म की मिट्टी की भरायी की गई। इन
वन की खासियत यह भी होगी कि इसमें आम, आंवला, जामुन, शहतूत
जैसे फ़लदार पेड़ों के अलावा पीपल, अर्जुन, हरड़, बेहड़ा,
शीशम,
बांस,
सिल्वर
ओक के पेड़ भी लहलहायेंगे। वन विभाग के आधिकारियों तथा उना जिला प्रशाशन ने बेटियों
को समर्पित इस वन को संरक्षित वन की श्रेणी में लाने का प्रदेश सरकार से आग्रह
किया है ताकि इस वन का भविष्य सुरक्षित रहे और बेटी बचाओ-पेड़ लगाओ का संदेश
हमेशा प्रेरणादायक रहे। टकारला गांव में
तैयार किए जाने वाले इस वन के साथ ही प्रसि) देवालय भी है लिहाजा इससे इस देवालय
में शीश नवाने के लिए आने वाले श्र)ालुओं को यहां छाया भी उपलब्ध होगी और इस स्थल
के प्राकृतिक सौंदर्य में भी इजाफ़ा होगा।
हिमाचल प्रदेश भले ही पर्वतों व वनों से आच्छादित प्रदेश कहलवाता है
लेकिन इस प्रदेश के बार्डर क्षे= में अपेक्षाकृत कम पेड़ हैं और यहां पौधारोपण के
अभियान को गति देकर पर्यावरण संतुलन बरकरार रखा जा सकता है। उना जिला प्रशाशन ने
सभी पंचायत पदाधिकारियों से अपील की है कि वे अपने-अपने क्षे= में इसी तरह बेटी
बचाओ मुहिम को पेड़ लगाने से जोड़ें और जिला को एक नया गौरव प्रदान करें। उना जिला
प्रशाशन ने कहा कि विभिन्न पंचायतों में वन भूमि चिन्हित करके उन्हें वनों में
तबदील किया जायेगा।
ऊना में चलाई गयी बेटी
बचाओ-बेटी पढ़ाओ और पेड़ लगाओ विशेष मुहिम की शुरूआत टकारला गांव से की गयी और इस मुहिम में
जनसाधारण की भी पूरी सहभागिता सुनिश्चित की गयी। भविष्य में ऊना जिला बेहतर
लिंगानुपात के लिए भी आदर्श जिला बनकर सामने आयेगा। यह वन बेटियों को समर्पित करके
ऊना जिला प्रशाशन ने पूरे देश को एक नया संदेश व नई सोच दी है। आवश्यकता इस बात की
है कि प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओं, संदेश को जन-जन
तक पहुंचाया जाए। आज लोगों की सोच में अंतर तो आया है, लेकिन जरूरत इस
बात की है कि सरकार द्वारा पंचायत और जिला प्रशासन स्तर पर इस तरह के कार्यक्रम और
योजनाएं बनाई जाएं, जिससे बेटियों को पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया
कराया जाए। पर्यावरण संतुलन और भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा तथा स्वच्छ वातावरण
के लिए वृक्षा रोपण वक्त की मांग है। इस दिशा में हम सभी को जहां तक संभव हो सके,
एक-एक
पौधा अवश्य लगाना चाहिए और उसकी देखभाल भी करनी चाहिए। केन्द्र सरकार ने विद्यालय
स्तर पर ही यह कार्यक्रम चलाया है। देश के हर विद्यालय में विद्यार्थियों को बचपन
से ही वृक्षों की हिफ़ाजत करना और अपने लगाए पौधों को पनपते हुए देखने का सुअवसर
दिया जाना चाहिए, ताकि हमारी भावी पीढ़ियां पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सके।
आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं के साथ-साथ वन लगाओ भी आवश्यक हो गया है। प्रत्येक
देशवासी को इस कार्य में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए और लोगों को इस विषय पर
जानकारी मुहैया करानी चाहिए।