दाद, खाज और खुजली में सबसे कारगर होमियोपैथीरू डा- कोठारी

2018-08-21 0

दाद, खाज और खुजली में सबसे कारगर होमियोपैथीर: डा. कोठारी

दाद, खाज-खुजली एक ऐसा रोग है जो इंसान को ना सोने देते हैं और ना ही खाने-पीने देता है। इस बीमारी में पीड़ित जब भी कुछ करता है तो उसका ध्यान ज्यादातर खुजाने में रहता है। जिस जगह पर दाद या फि़ र खुजली हो जाती है इंसान उस जगह पर खुजाते-खुजाते जख्म तक कर लेता है लेकिन समस्या का समाधान सिफ़र्  खुजाने से ही दूर नहीं हो पाता है। इस बीमारी को अगर जड़ से खत्म करना है तो होम्योपैथी ही इसका रामबाण इलाज है। आप चाहें जितनी भी दवाई कर लो पर यह रोग ऐसा होता है जो बार-बार अपनी जगह बना लेता है। दवाई से कुछ राहत तो जरूर मिल जाती है पर रोग पर काबू नहीं पाया जाता। रोग पर काबू पाने के लिए इसका सबसे सरल और सटीक उपाय होम्योपैथी ही है। दाद, खाज-खुजली अथवा फ़ंगल इफ़ेंक्शन जैसी भयंकर बीमारी के बारे में हमने होम्योपैथी के सुपर स्पेशलिस्ट डॉ- नवनेश कोठारी से बात की। बिजनौर में स्टेट बैंक के पास अपना होम्योपैथी क्लीनिक चलाने वाले डॉ- कोठारी ने हमें बताया कि किस प्रकार से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। तो आइये जानते हैं कि होम्योपैथी क्यों सरल है इन लक्षणों मेंरू-

वर्तमान समय में दाद, खाज़-खुजली अथवा फ़ंगल इफ़ेंक्शन एक महामारी की तरह पूरे क्षेत्र  में फ़ैला हुआ है इस समय इस रोग के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फ़ंगल इफ़ेंक्शन एक प्रकार का कवक है जो हवा, पानी, मिट्टी, पौधों आदि कहीं भी हो सकते है। यह रोगाणुओं की तरह ही होते है जो शरीर के सम्पर्क में आते ही जीवित हो जाते हैं तथा हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला कर उसे प्रभावित करते हैं, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति  इससे शीघ्र ही रोगग्रस्त हो जाते है। चूंकि यह एक प्रकार का संक्रमण रोग है, यह एक दूसरे के सम्पर्क मे आने से इसके फ़ैलने की प्रक्रिया और तेज हो जाती है।

एक बार स्वस्थ हो जाने के बाद  भी इस रोग के संक्रमण का खतरा बना रहता है क्योंकि कवक प्रत्येक मौसम अथवा पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं इसीलिए यह बार-बार संक्रमण करते रहते हैं। प्रायरू यह देखने को मिलता है के बरसात एवं गर्मी  के मौसम में कवक या फ़ंगस ज्यादा फ़ैलता है और ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है। कई परम्परागत औषधियां इसमें ज्यादा असरदार नहीं होती, परन्तु होमियोपैथी द्वारा इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।        

होम्योपैथी कवक को जड़ से निकालने के साथ- साथ हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करके इस लायक बनाती है के जिससे यह कवक पुनरू संक्रमण नहीं कर पाता। सबसे पहले इस रोग के लक्षणों को देखकर रोग की पहचान करनी चाहिए जिससे इस रोग से बचा जा सके। फ़ंगल इफ़ेंक्शन अथवा दाद, खाज़ की पहचान करना बहुत सरल है, अत्यधिक खुजली के साथ लाल रंग के चकत्ते पड़ना, जलन होना, त्वचा पर दरारें पड़ना, बार-बार खुजली आना, अत्यधिक खुजाने पर चिपचिपा पानी जैसा पदार्थ निकलना आदि फ़ंगल इफ़ेंक्शन के लक्षण है। कभी-कभी यह बार-बार होता है अथवा घटता बढ़ता रहता है। इस तरह की समस्या होने पर तुरंत किसी योग्य डॉक्टर की सलाह लें। फ़ंगल इफ़ेंक्शन में कुछ सावधानी बरतकर हम इस गम्भीर समस्या से बच सकते हैं जैसे ठंडी एवं नमी भरी जगहों पर शरीर व पैरों को साफ़ व सुखा रखें। मोज़ों एवं अंदर के कपड़ो को रोज बदलें। बहुत अधिक तंग कपड़े ना पहने। अपने निज समान एवं कपड़ो को किसी से साझा न करें एवं खुद भी किसी अन्य के समान जैसे तौलिया, रुमाल आदि का इस्तेमाल ना करें। यदि आपका वजन ज्यादा है तो ढ़ीले कपड़े पहने तथा शरीर को खुश्क रखें। हमेशा नाखून छोटे रखें तथा किसी दूसरे के नेल कटर का इस्तेमाल ना करें। परिजन अथवा मि= को यह रोग होने पर तुरन्त किसी योग्य डॉक्टर की सलाह लें। इस रोग में होम्योपैथी जादू की तरह काम करती है तथा रोग को जड़ से निकाल फ़ेंकने में पूर्णतरू सक्षम है तथा दीर्घकालिक परिणाम देती है।

होम्योपैथी समस्या को जड़ से निकालने के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है जिससे रोग के दोबारा होने के खतरे से बचा जा सकता है। होम्योपैथी में अन्य दवाओं की भांति साइड इफ़ेक्ट नहीं होते इसीलिए यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। होम्योपैथी दवा लेते समय अत्यधिक सावधानी रखनी चाहिए, कभी भी स्वयं से कोई भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस रोग के होने पर तुरन्त किसी योग्य होम्योपैथी विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।


ये  भी पढ़ें  

माइग्रेन का दर्द अब नहीं कर पायेगा परेशान




मासिक-पत्रिका

अन्य ख़बरें

न्यूज़ लेटर प्राप्त करें