भारत के विकास में दक्षिण कोरिया की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत के विकास में दक्षिण कोरिया की महत्वपूर्ण भूमिका
भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत के हालिया न्यूज पेपर इंटरव्यू के
मुताबिक, श्लोग्य का मतलब सांस्कृतिक और पर्यटन सम्बन्धें से, श्समृि)्य
का आर्थिक साझेदारी के निर्माण से और श्शांत्यि उनकी क्षे=ीय चुनौतियों खासकर
कोरियाई प्रायद्वीप पर सुरक्षा स्थिति को लेकर उनकी सोच को साझा करने का हवाला
देती है, और इन दोनों कोरियाई देशों के साथ अपने ताल्लुकात को बनाए रखने में
भारत की स्थायी रुचि का कारण भी यही है।
1945 में जापान से कोरिया की आजादी के तुरंत बाद भारत को संयुक्त राष्ट्र
आयोग के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया, जिसने अंततरू 15
अगस्त 1948 को कोरियाई गणराज्य की स्थापना की। हालांकि, भारत के साथ
उसके सम्बंधों में मजबूती 1997 के पूवÊ एशियाई वित्तीय
संकट के बाद दक्षिण कोरिया में हुए अभूतपूर्व विकास की वजह से पिछले दो दशकों के
दौरान आई।
कोरियाई ब्रांड
कोरियाई ब्रांड आज भारत के घर-घर में उपलब्ध है और उनकी कुछ कंपनियां
पहले से ही मोदी के श्डिजिटल इंडिया्य और श्मेक इन इंडिया्य में योगदान दे रही
हैं। इस पृष्ठभूमि में, मोदी-मून शिखर सम्मेलन के साथ ही श्श्विशेष रणनीतिक साझेदारी्य्य के
दूसरे चरण के शुरू होने की उम्मीद है,
जिसे
मोदी के श्एक्ट ईस्ट्य और मून की श्नई दक्षिण नीत्यि ने और मजबूत किया है और अपनी
वार्ता को द्विपक्षीय स्तर से आगे ले जाने का वादा किया है। उन्हें क्षे=ीय और
वैश्विक महत्व के विभिन्न मुद्दों को सम्बोधित करते हुए भी देखा जा सकता है। भारत
के तेज विकास की चाह में दक्षिण कोरिया का आज क्या महत्व है इसे एक बेहद आसान
समीकरण से समझा जा सकता है-भारत की आबादी दक्षिण कोरिया से 24
गुना अधिक है जबकि प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में यह दक्षिण कोरिया का महज
सोलहवां हिस्सा ही है।
गुजरात जितना बड़ा यह छोटा-सा देश द्धदक्षिण कोरियाऋ ग्रीष्मकालीन और
शीतकालीन दोनों ही आलंपिक खेलों की मेजबानी कर चुका है और आज यहां की कंपनियां
भारत समेत पूरी दुनिया में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फ़ोन और
ऑटोमोबाइल दे रही हैं और बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही हैं।
भारत के साथ मजबूत भागीदारी की राष्ट्रपति मून की प्रतिब)ता पहले से
दिख रही थी। पिछले साल अप्रैल में सरकार के गठन के दौरान भारत में कोरिया के पूर्व
राजदूत रहे चो ह्यून को शामिल कर विदेश और बहुपक्षीय आर्थिक मामलों को जूनियर मं=ी
बना दिया गया और फि़र मई में राष्ट्रपति मून के खास दूत पूर्व सांस्कृतिक मं=ी
चुंग दोंग-ची को भारत और ऑस्ट्रेलिया भेजा गया। इसके बाद नवंबर में राष्ट्रपति मून
के श्नई दक्षिण नीत्यि की घोषणा के साथ ही भारत-दक्षिण कोरिया के रिश्ते में एक नए
पहलू की शुरुआत हुई है। राष्ट्रपति मून की श्नई दक्षिण नीत्यि की पृष्ठभूमि में,
प्रधानमं=ी
नरेन्द्र मोदी मई 2015 में दक्षिण कोरिया गये थे। इससे दोनों देशों ने अपने सम्बंधों को
श्विशेष रणनीतिक साझेदारी्य में बदल दिया और उसी दौरान दक्षिण कोरिया ने भारत में
बुनियादी ढांचों के विकास के लिए 10 अरब डॉलर के क्रेडिट की बुनियाद रखी।
यह सब कोरियाई स्टील कम्पनी पोस्को द्वारा उड़ीसा में 12 अरब डॉलर क
स्टील संय= लगाने के लिए लौह अयस्क खदान को कंपनी को लीज पर दिए जाने के प्रोजेक्ट
पर स्थानीय किसानों के विरोध के बाद विवादास्पद रूप से हट जाने के बावजूद हुआ।
दक्षिण कोरिया ने किया था मोदी का स्वागत
दक्षिण कोरिया उन कुछ चुनिंदा देशों में एक था जिसने 2007 में
बतौर गुजरात के मुख्यमं=ी नरेन्द्र मोदी की मेजबानी तब की थी जब अमरीका की अगुआई
में कई पश्चिमी देशों में वो अस्वीकार्य व्यक्ति के रूप में देखे जाते थे।
भारत-कोरिया के बीच सम्बंधों को लेकर पौराणिक कथाएं तो दो हजार साल पहले से चल रही
हैं और आज दक्षिण कोरिया में पीएचडी कर रहे करीब एक हजार शोधर्थियों समेत 11
हजार भारतीय रह रहे हैं। ऐसे में मोदी-मून की यह बैठक दक्षिण कोरिया के छह देशों
की वार्ता के अलावा क्षे=ीय खिलाड़ियों में दिलचस्पी लेने की शुरुआत के रूप में
देखी जा सकती है।
भारत हमेशा बातचीत के जरिए कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्=ीकरण
की वकालत करता रहा है और दक्षिण कोरिया भी इन वर्षों में यही बात करता रहा है।
उत्तर कोरिया के साथ भी भारत के लगातार सम्बंध बनाए रखने का फ़ायदा
भारत-दक्षिण कोरिया में बढ़ती दोस्ती को होगा।
चीन से तुलना
प्रधानमं=ी नरेन्द्र मोदी की अति सक्रिय विदेशी नीति के तहत भारत ने
उत्तर कोरिया के साथ जुड़ाव में रुचि दिखाई है। भारत वहां क्षे=ीय विकास और
अमरीका-उत्तर कोरिया के सम्बंधों से निकलने वाले अच्छे परिणामों पर अपनी नजर रखे
हुए है।
आज जब उत्तर कोरिया ने दुनिया के बाकी देशों के लिए अपने दरवाजे
खोलने शुरू किए हैं तो भारत उसे अपने चीन-पाकिस्तान वाले पारम्परिक सामरिक गठजोड़
से बाहर निकलना चाहेगा। भारत खासकर उत्तर कोरिया के पाकिस्तान के साथ उसके परमाणु
और मिसाइल कार्यक्रमों और इस क्षे= पर उसके सुरक्षा प्रभावों को लेकर चिंतित है।
दरअसल उत्तर कोरिया और पाकिस्तान दोनों ही चीन के साथ घनिष्ठ सम्बंध रखते हैं जो
भारत-दक्षिण कोरिया सम्बंधों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिन्दु बना हुआ है।
चीन के साथ तुलना लाजमी है, दक्षिण कोरिया के साथ भारत का
द्विपक्षीय व्यापार भी पिछले साल 20 अरब अमरीका डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका
है, दक्षिण कोरिया के साथ चीन 12 गुना ज्यादा 240 अरब डॉलर का
व्यापार करता है इसी तरह, चीन में नौ गुने अधिक 57
अरब डॉलर के निवेश के मुकाबले दक्षिण कोरिया का भारत में कुल निवेश 6-8
अरब डॉलर है। लेकिन राष्ट्रपति मून का
अपनी श्नई दक्षिण नीत्यि के तहत भारत के सम्बंधों को चीन के स्तर के बराबर रखने का
लक्ष्य भारत की बड़ी क्षमता को दर्शाता है।
पिछले तीन सालों में उनके व्यापार में 17 से 20
अरब डॉलर की वृि) देखी गई है और दोनों पक्षों ने इसे 40 अरब डॉलर तक
पहुंचाने का लक्ष्य निर्धरित कर लिया है। अंत में भारत के लिए दक्षिण कोरिया
चौंकाने वाला परिवर्तन देता एशियाई लोकतांत्रिक व्यवस्था के एक कामयाब स्थिति का
प्रतिनिधित्व करता है जिसकी वजह से दक्षिण कोरिया की उसके विश्व-स्तरीय बुनियादी
ढांचों की वजह से आज अग्रणी राष्ट्रों में गिनती होती है। जैसे-जैसे भारत अपने
अगले आम चुनावों के करीब आता जा रहा है, लोकतांत्रिक दक्षिण कोरिया के साथ उसकी
बढ़ती भागीदारी का महत्व फ़ोटो खिंचाने और आध दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर से कहीं
ज्यादा गहरा हो जाता है।