नवाज शरीफ़ को दस साल की सजा

नवाज शरीफ़ को दस साल की सजा
पाकिस्तान की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी बेटी मरियम नवाज को भ्रष्टाचार को दोषी माना
अब देखिए, एक तरफ़ अदालत ने फ़ैसला सुनाया दूसरी तरफ़ मुस्लिम लीग द्धनवाजऋ के
कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और नवाज के समर्थन
में नारा लगाया। अगर ऐसे भ्रष्टाचारी लोग सरकार में होंगे तो ये भी देश के लिए
खतरा है और अगर अदालत ने ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है तो भी लोग
सड़कों पर उतर आये हैं। अब अदालत के पास दोहरी मुश्किल आ जाती है कि करेें तो क्या
करें ऐसे लोगों को सरकार में रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए। अदालत के फ़ैसले के
बाद मरियम नवाज चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गई हैं। अदालत ने मरियम नवाज के पति
कैप्टन सफ़दर को भी एक साल की सजा सुनाई है। नेशनल अकाउंटेबिलिटी बोर्ड
(पाकिस्तान का लोकायुक्त कार्यालय) के अभियोजक मुजफ़ फ़र ने पत्रकारों से बात करते
हुए बताया कि अदालत ने अपने फ़ैसले में केन्द्रीय सरकार से कहा है कि वे
एवेनफ़ील्ड को जब्त कर ले। एवेनफ़ील्ड अपार्टमेंट लंदन में नवाज परिवार की संपत्ति
में शामिल मानी जाती है, इसे लेकर ही भ्रष्टाचार को ये मुकदमा
चल रहा था।
इससे पहले अदालत ने तीन जुलाई 2018 को मुकदमे की
सुनवाई पूरी करके फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था। अदालत ने नवाज परिवार की सम्पत्ति
में शामिल एवेनफ़ील्ड अपार्टमेंट को भी सील करने का आदेश दिया है। ऐसा नहीं है कि
इस फ़ैसले को बहुत जल्दी में सुनाया गया हो या कुछ गलत होने की संभावना हो हो
जिससे लोगों में आक्रोश हो।
इस्लामाबाद की भ्रष्टाचार विरोधी अदालत के जज महमूद बशीर ने साढ़े नौ
महीने तक इस मुकदमे की सुनवाई की। इस मुकदमे में नवाज शरीफ़ उनकी बेटी मरियम नवाज,
हसन
नवाज, हुसैन नवाज और कैप्टन सफ़दर अभियुक्त हैं। अदालत हसन नवाज और हुसैन
नवाज को पहले ही भगोड़ा करार दे चुकी है। इतना ही नहीं पाकिस्तान में सरकार भी नवाज
शरीफ़ की पार्टी की है तो अब यह
भी नहीं कह सकते कि सरकार ने बदले की भावना से ये सब किया है जैसा कि बिहार के
मुख्यमं=ी लालू प्रसाद यादव के खिलाफ़ झारखण्ड में अदालत ने लालू यादव को दोषी
पाया तो लालू यादव और उनकी पत्नी तथा दोनों बेटे और पार्टी के सभी नेताओं
ने एक साथ कहा कि ये सब नरेन्द्र मोदी ने बदले की भावना से करवाया है। नवाज शरीफ़
ने इस केस का फ़ैसला सात दिनों तक टालने की याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया है
कि पत्नी की बीमारी की वजह से वो तुरंत देश वापस नहीं लौट सकते। नवाज शरीफ़ इस समय
लंदन में हैं। नवाज शरीफ़ को पहले भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की ओर से
अदालती कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है, दो मुकदमों में उन्हें सजा भी हुई थी।
हालांकि ये पहली बार हुआ है जब उन पर अदालती कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है जब
उनकी अपनी पार्टी सत्ता में है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
अदालत के फ़ैसले के बाद एक ट्वीट मरियम नवाज शरीफ़ ने कहा, श्श्शाबाश
नवाज शरीफ़, आप डरे नहीं, आप झुके नहीं, आपने निजी
जिन्दगी पर पाकिस्तान को तरजीह दी। अवाम आपके साथ खड़ी है। जीत आपकी ही होगी। इंशा
अल्लाह।्य्य अब खुद सोचिए मरियम नवाज किस बात के लिए अपने पिता को शाबाशी दे रही
थी। अदालत के फ़ैसले के बाद नवाज शरीफ़ पाटÊ मुस्लिम
द्धनवाजऋ के नेता तारिक फ़जल चौधरी ने प=कारों से कहा कि फ़ैसले के खिलाफ़ जो भी
कानूनी कार्रवाई हो सकती है उसे किया जाएगा।
वहीं पाटÊ के नेता शहबाज शरीफ़ ने कहा
कि उनकी पाटÊ इस फ़ैसले को अस्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि पूरे मुकदमे में कोई
ठोस कानूनी दस्तावेज पेश नहीं किए गए। उन्होंने कहा, श्श्मियां नवाश
शरीफ़ का नाम पानामा मुकदमे में कहीं नहीं
लिखा। एवेनफ़ील्ड और विदेशी कम्पनियों में भी उनका नाम नहीं। उन्होंने कहा कि नवाज
के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं थे। मतलब शहबाज शरीफ़
के अनुसार नवाज शरीफ़ के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं थे तो क्या अदालत बिना सबूत
के ही फ़ैसला सुना दिया था। ये तो वोट बैेंक की राजनीति हो रही है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ द्धइमरान खान की पाटÊऋ की नेता शीरीन
मजारी ने टीवी चौनल एआरवाई को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम तो बहुत खुश हैं।
उन्होंने कहा, श्श्ये हमारी जीत है और सबसे ज्यादा जनता की जीत है।्य्य उन्होंने
कहा कि इसका श्रेय इमरान खान को जाता है जिनका एजेंड भ्रष्टाचार के खिलाफ़ है।
लंदन में हाथापाई
लंदन में एवेनफ़ील्ड अपार्टमेंट के बाहर अदालत का फ़ैसला आते ही चंद
लोग एवेनफ़ील्ड अपार्टमेंट के बाहर पहुंचे और उन्होंने नवाज शरीफ़ के खिलाफ़
नारेबाजी की। जिसके बाद वहां मौजूद नवाज की पाटÊ समर्थकों और उन
लोगों के बीच हाथापाई हुई। वहीं फ़ैसले के बाद पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में
नवाज शरीफ़ की पाटÊ के कार्यकर्ताओं
ने प्रदर्शन किया है।
प्रदर्शन करते नवाज की पार्टी के कार्यकर्ता
पाकिस्तान के कई शहरों में मुस्लिम लीग द्धनवाजऋ के कार्यकर्ता
प्रदर्शन कर रहे हैं। कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे हैं और सीना पीट रहे हैं। दूसरी
ओर इमरान खान की पाटÊ के कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं और इमरान खान के समर्थन में नारेबाजी
करते हुए एक-दूसरे को मुबारकवाद दे रहे हैं। ये फ़ैसला ऐसे समय आया है जब चुनाव का
समय चल रहा है और सभी पार्टियां अपनी-अपनी रोटियां सेंकने में लगी हैं।
नवाज शरीफ़ के पास अब क्या रास्ता है?
अब तो लगता है मुनीर नियाजी ने नज्म श्हमेशा देर कर देता हूं मैं हर
काम करने में्य नवाज शरीफ़ के लिए लिखी थी। अदालत कछुए की रफ़ तार से चलती है और
सियासत खरगोश की तरह फ़ुदकती-उछलती। जो खरगोश से ज्यादा आत्मविश्वास का शिकार न हो
वो दौड़ जाता है मगर ऐसा वाकई हो जाए तो फि़र नस्ल-दर-नस्ल कछुए और खरगोश की कहानी
कौन पढ़े?
अब ट्रंप ने चीन से आयात 200 अरब डॉलर के उत्पादों पर लगाया शुल्क
गलत वक्त पर गलत फ़ैसला तो माफ़ किया जा सकता है मगर सही वक्त पर गलत
फ़ैसले का कोई उपाय नहीं। कॉमेडी और सियासत में सारा खेल टाइमिंग का है। एक भी
गैर-जरूरी लम्हा लतीफ़े को कशीफ़ा औ एक दिन की सुस्ती नेता को सालों की मशक्कत में
धकेल देती है। सियासत का सुस्ती से वही रिश्ता है जो रेल के पहिए का पंक्चर होने
से। मियां साहब को पहला सुनहरा मौका पनामा
गेट के सार्वजनिक होते ही मिला था। अगर संसद में अपनी बेगुनाही और पनामा से अपने
सम्बंध न होने का दावा कराने के बजाए अगर उसी भाषण में मियां साहब कह देते कि मैं
जिस ओहदे पर तीसरी बात चुना गया उसके बाद जनता के भरोसे का तकाजा है कि मेरे ऊर
जरा सी भी छींटा पड़े तो मुझे उस पद पर रहने का कोई हक नहीं है। मैं दोबारा आउंगा
मगर उस वक्त जब खुद को बेगुनाह साबित कर दूंगा। उन चंद जुमलों के साथ मियां साहब
के शेयर सियासी स्टॉक एक्सचेंज की छत फ़ाड़ सकते थे मगर ये हो न सका और उनके साथी
कान मेें फ़ूंकते रहे कि मियां साहब दब के रखो।
दूसरा मौका तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने पनामा मामले को सुनवाई के
लायक समझने से इन्कार करके नेताओं को मौका दिया कि वो अपने कपड़े सुप्रीम कोर्ट की
सीढ़ियों पर धोने के बजाए संसद के अंदर धोएं। उस समय विपक्षी पार्टियां भी राजी थीं
कि एक संसदीय समिति इस मामले की छानबीन कर के किसी नतीजे पर पहुंच जाए मगर मियां
साहब ने एकतरफ़ा जांच आयोग का एलान कर दिया जिसे विपक्ष ने अस्वीकार कर दिया और
विपक्ष के फ़ार्मूले को मियां साहब और उनके साथियों ने अस्वीकार कर दिया। फि़र
इमरान खान के लॉक डाउन की धमकी ने सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई पर मजबूर
कर दिया।
10 हफ्तों में खाली हो जाएगा पाकिस्तान का खजाना..!
मगर इस मामले को तकनीकी और कानूनी तरीके से पेशेवर अंदाज में बंद
कमरे की सुनवाई तक सीमित करने के बजाए एक समानांतर अदालत सुप्रीम कोर्ट की सीढ़ियों
पर लगा ली गई और यूं अदालत समर्थक और अदालत विरोधी समूह उभरकर सामने आ गए और
मीडिया की मेहरबानी से पनामा एक दलदल की तरह फ़ैलता चला गया।
फि़र उसी दलदल में वाद-विवाद, गालियों और
अदालत से तू-तू मैं-मैं के झाड़-झनकार उगते चले गये। मियां साहब कहते भी रहे कि उन्हें
जीआईटी पर भरोसा नहीं है और उसे सामने पेश भी होते रहे। अदालत का फ़ैसला स्वीकार
भी नहीं किया और सत्ता से बेदखल होने की वजह से स्वीकार भी कर लिया। कहा कि
भ्रष्टाचार निरोधी अदालत पर भरोसा नहीं है और उसके सामने सौ से ज्यादा बार पेश भी
होते रहे और रैलियों में जनता की अदालत में पूछते भी रहे कि मुझे क्यों निकाला?
जाहिर है मियां साहब सिफ़र् राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं बल्कि एक पति
और पिता भी हैं लेकिन राजनेता की परीक्षा यही तो है कि वो कैसे अपने निजी मामलों
और रिश्ते भी निभाए और सियासी टाइमिंग को मौके पर इस्तेमाल करने के लिए अपनी आंखें
भी खुली रखे।
दक्षिण चीन में मिसाइलें तैनात कर डरा रहा है चीन
हर कोई जानता है कि बेगम की संगीन हालत की वजह से मियां साहब किस
मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं, मगर एक शौहर और परिवार के मुखिया होने
के साथ-साथ वो अपनी पार्टी के नेता भी हैं और उस पार्टी के
लाखों समर्थक भी हैं। एक मंझे हुए राजनेता को ऐसे में क्या फ़ैसला करना चाहिए?
हाथों
से लगाई गांठ दांतों से खोलना ही तो सियासत है। मगर ये नहीं हो सकता तो फि़र आप एक
और नींद ले लीजिए।