होम लोन तभी ट्रांसफ़र कराएं जब बच रहा हो 0-25 प्रतिशत ब्याज - राज खोसला

2018-08-01 0

होम लोन तभी ट्रांसफ़र कराएं जब बच रहा हो 0-25 प्रतिशत ब्याज- राज खोसला

प्रॉपर्टी  की कीमतों में नरमी है। बनकर तैयार मकानों की बिक्री में परेशानी आ रही है। इससे डेवलपर्स लुभावने दामों पर इन्हें बेचने के लिए मजबूर हैं। इसलिए घर खरीदारों को होम लोन की ब्याज दरों में मामूली बढ़ोत्तरी से घबराना नहीं चाहिए। माईमनीमंत्र डॉटकॉम के एमडी राज खोसला ने ईटी के साथ खास बातचीत में ये बातें कहीं। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश-

होम लोन की दरें बढ़ रही हैं। खरीदारों को क्या करना चाहिए? वे ब्याज दरों के घटने का इंतजार करें या फि़र खरीदने की योजना टाल दें?

बिल्कुल भी नहीं। घर खरीदने की योजना को कतई न टालें। कारण है कि ब्याज दरों में मामूली बढ़ोत्तरी हुई है। होम लोन लम्बे समय की प्रतिब)ता है। यह 20-25 साल तक चलता है। इतने लम्बे समय में दरों में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। सच तो यह है कि घर खरीदने के लिए यह अच्छा समय है। देश के कुछ हिस्सों में प्रॉपटÊ की कीमतें नोटबंदी के बाद 25-30 फ़ीसदी टूट चुकी हैं। इंवेंट्री बढ़ जाने से बिल्डर्स लुभावनी छूट की पेशकश कर रहे हैं। किराया देने की तुलना में ईएमआई देना हमेशा समझदारी है। दूसरी तरफ़ जो लोग प्रॉपटÊ में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें बेहतर ब्याज दरों का इंतजार करना चाहिए।

रीफाइनेंसिंग से ब्याज का बोझ घट सकता है। रिफ़ाइनेंसिंग का विकल्प चुनते हुए किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफ़र कराना खचÊला काम है। इसमें तमाम कागजी प्रक्रिया शामिल है। होम लोन ट्रांसफ़र कराने का एक नियम है। इसे नहीं भूलना चाहिए। यह तभी करें जब कम से कम 0-25 फ़ीसदी ब्याज की बचत हो रही हो। रिफ़ाइनेंसिंग का तभी फ़ायदा होता है जब लोन लम्बे समय का हो। एक-दो साल में खत्म हो रहे लोन पर इसका कोई असर नहीं होता है।

बढ़ती ब्याज दरों के साथ लोन की अवधि बढ़ जायेगी। क्या प्री-पेमेंट करने में समझदारी है?

अगर आपके पास अतिरिक्त फ़ं ड है तो 8-75-9 फ़ीसदी की दर से लिए गए लोन के कुछ हिस्से को एकमुश्त अदा करने में समझदारी है। इसकी तुलना में फि़क्स्ड डिपॉजिट से रिटर्न कम मिल रहे हैं। लोन के एक हिस्से को निपटा देने से ईएमआई का बोझ घट सकता है। इससे लोन की अवधि भी कम हो सकती है।

होम लोन कितने साल का लेना चाहिए?

इस मामले में कोई आदर्श स्थिति नहीं है। यह कर्ज लेने वाले व्यक्ति की अदा करने की क्षमता पर निर्भर करता है। नियम यह है कि कुल देनदारी को व्यक्ति की शुद्ध  आय का 40-50 फ़ीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। युवा लम्बे समय के लिए लोन ले सकते हैं। फि़र आय बढ़ने पर प्री-पेमेंट कर सकते हैं। ईएमआई बढ़ाने का भी विकल्प है। ज्यादातर मामलों में होम लोन की पहले से एक निर्धारित अवधि होती है।

कई लोग होम लोन को इसलिए समय से पहले चुकाना नहीं चाहते क्योंकि इस पर टैक्स कटौती का लाभ मिलता है। आपकी राय क्या है?

आइए, इसे इस तरह से समझते हैं। हम अंतिम उपभोक्ताओं को दो श्रेणियों में बांट लेते हैं। एक वे जिन लोगों ने 35 लाख रुपए लोन लिया है, दूसरे जिन्होंने 35 लाख रुपए से ज्यादा लोन लिया है। पहले मामले में मूलधन पर 1-5 लाख और ब्याज पर 2 लाख रुपए की अधिकतम टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। यह होम लोन पर अधिकतम टैक्स सेविंग हो सकती है। अगर आप इस श्रेणी में हैं और 30 फ़ीसदी के अधिकतम टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो टैक्स बेनिफि़ट लोन की लागत को 8-5 फ़ीसदी से घटाकर 6 फ़ीसदी कर देगा लेकिन अगर लोन 35 लाख रुपए से ज्यादा है और आपके पास अतिरिक्त फ़ ंड है तो लोन को प्रीपे करने में ही समझदारी है।

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