मछली या सी-फ़ूड खाने से पहले जरा रुकिए

2018-08-01 0

मछली या सी-फ़ूड खाने से पहले जरा रुकिए

हमारी धरती के दो-तिहाई हिस्से पर समंदर फ़ैले हुए हैं और दुनिया के करीब 55 फ़ीसद समुद्री इलाके में कारोबार के लिए मछली पकड़ने का काम हो रहा है। ये दुनिया भर में खेती की जानी वाली जमीन का चार गुना है। वैसे तो मछली पकड़ने के लिए अक्सर लोग फि़ शिंग कानून का पालन करते हैं। लेकिन कुछ इसका उल्लंघन भी करते हैं। इससे व्यापार और समुद्र दोनों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा मछली समुद्र से निकाल लेते हैं इससे समुद्र में मछलियों का संतुलन बिगड़ता है, और मछली पालन को भी नुकसान पहुंचता है।

अरबों डॉलर की मछलियां

बहुत से देश मछली पकड़ने के कायदे-कानून मजबूती से लागू नहीं करा पाते। इसी वजह से गैर कानूनी तरीके से मछली पकड़ने का कारोबार लाखों डॉलर तक पहुंच चुका है। कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरीकों से हर साल लगभग 23 अरब डॉलर की मछलियां समंदर से पकड़ी जाती हैं।

विश्व खाद्य संगठन के आंकलन के मुताबिक समुद्र में मछलियों की तादाद कम होने से विश्व भर में लाखों लोगों की नौकरी और खाने का संकट पैदा हो सकता है।

इस पर रोक लगाने के लिए 2016 में स्काई ट्रूथ या गूगल की मदद से ग्लोबल फि़ शिंग वॉच तैयार की गई है जो सैटेलाइट डेटा की मदद से पर्यावरण संरक्षण का काम करती है। ये एक मैपिंग प्लेटफ़ार्म है। इस मैप के जरिए दुनिया भर में चल रही कमर्शियल फि़शिंग का पता लगाया जा सकता है।

सैटेलाइट का इस्तेमाल

समुद्र के संरक्षण के लिए काम कर रही संस्था ओशियाना समुद्र में चल रही गैर-कानूनी गतिविध्यिों पर नजर रखने के लिए इस डेटा का इस्तेमाल कर रही है। बहुत बड़े-बड़े जहाजों में ऑटोमेटिक आईडेंटिफि़केशन सिस्टम यानी ्रढ्ढस् लगा होता है। सैटेलाइट के जरिए इन जहाजों की स्थिति पता चलती रहती है और छोटे जहाज इनसे टकराने से बच जाते हैं।

इस डेटा के इस्तेमाल से करीब 70 हजार जहाजों को देखा जा सकता है। ्रढ्ढस् की वजह से ग्लोबल फिशिंग वॉच आंकड़ों के जरिए ये पता लगा लेती है कि कौन-सा जहाज किस समय मछली पकड़ रहा है।

लेकिन पाबंदी के छह महीने बाद ही ग्लोबल फि़शिंग वॉच से पता चला है कि संरक्षित इलाके में गैर-कानूनी तरीके से मछली पकड़ी जा रही है। इस तकनीक की मदद से ही किरीबाती जैसे छोटे से देश ने गैर-कानूनी फि़शिंग करने वाली कम्पनी पर बीस लाख डॉलर का जुर्माना लगाया। किरीबाती जैसे छोटे देश के लिए ये रकम बहुत बड़ी थी। ये रकम इस देश की कुल जीडीपी का एक फ़ीसद थी।

ग्लोबल फि़शिंग वॉच जहाजो पर लगी ्रढ्ढस् की बत्ती के जरिए उन्हें पहचानती है। सवाल उठता है कि अगर जुर्माना इतना भारी है, तो ये जहाज ्रढ्ढस् की बत्तियां बुझा क्यों नहीं देते, अगर जहाज बत्तियां बुझा देंगे तो वो अपने लिए खतरा मोल ले लेंगे। ऐसा करने से रात में दूसरे जहाजों से टकराने की संभावना काफ़ी बढ़ जाएगी।

अगर कोई जहाज ऐसा करता है, तो जाहिर हो जाएगा कि वो किसी अवैध काम में लगा हुआ है। मसलन, हो सकता है वो किसी ऐसे देश की सरहद में दाखिल हो रहा है, जहां उसे जाने की इजाजत नहीं है। या हो सकता है कि वो प्रतिबंध्ति इलाके में मछली पकड़ रहे हों। ग्लोबल फि़शिंग वॉच ने ऐसी हरकतें भी अपने कैमरे में कैद की हैं।  



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