धोनी कप्तान हों तो सफलता झक मारकर आती है

2018-07-01 0

रविवार की रात। अभी 11 नहीं बजे थे। आईपीएल फाइनल के अति रोमांचक होने की उम्मीद में टीवी सेट से नजरें गड़ाए और हजारों की संख्या में मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में बैठे लोगों को बहुत पहले पता चल गया था कि चेन्नई को चैम्पियन बनने से कोई रोक नहीं सकेगा। 

शेन वॉटसन के शतक और अंबाती रायडू के विजयी शॉट के बाद स्टेडियम पीला हो चुका था। चेन्नई के खिलाड़ी रेस लगाकर मैदान के बीचों-बीच पहुंच चुके थे।

शेन वॉटसन और रायडू पर लटकने, उन्हें गले लगाने और चूमने का पारंपरिक तरीका अपनाया जा रहा था। लेकिन इन सबसे दूर सात नम्बर की जर्सी पहने शांत नजर आ रहे महेन्द्र सिंह धोनी एक किनारे चलकर हैदराबाद के खिलाड़ियों से मिल रहे थे।  पीले झंडे और पीले पोशाक वाले खिलाड़ियों से दूर धोनी अपने शांत और संयत अंदाज में खिताबी जीत को उदारता और नम्रता से स्वीकार कर रहे थे। 

धोनी में कुछ बात तो है

धोनी के इस अंदाज को देखने का ये पहला मौका नहीं था। 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप की खिताबी जीत से लेकर 2011 के विश्व कप तक की जीत को अपने अंदाज में मनाने वाले धोनी अपनी तरह के अकेले कप्तान हैं। 

हार में उदार, जीत में संयत, खिलाड़ियों का साथ देने वाले, नए-नए प्रयोग करने वाले, शांति से अपनी रणनीति लागू करने वाले, आलोचनाओं की परवाह न करने वाले, कितने गुण गिनाएंगे उनके आप।

मुझे याद है जब 2007 के विश्व कप में भारतीय टीम बुरी तरह हारकर वेस्टइंडीज से लौटी थी। सचिन, सौरभ, द्रविड़ और सहवाग जैसे खिलाड़ियों के पोस्टर जलाए जा रहे थे। भारतीय क्रिकेट अपने निराशा के दौर में था। 

उसी साल टी-20 का पहला विश्व कप होना था और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इस फॉर्मेट पर सख्त आपत्ति थी। सीनियर खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में खेलने से इन्कार कर दिया था। 

तब टीम की कमान मिली महेन्द्र सिंह धोनी को। उस टूर्नामेंट ने भारतीय क्रिकेट में कैसे जान फूंकी ये हर क्रिकेट प्रेमी जानता है। क्रिकेट प्रेमी ये भी जानते हैं कि टी-20 का विरोध्ी क्रिकेट बोर्ड आज आईपीएल की बदौलत कैसे विदेशी क्रिकेटरों की पहली पसंद बना हुआ है और कमाई ऐसी कि हर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई से ईर्ष्या करता होगा। 

धोनी ने नए खिलाड़ियों बदौलत न सिर्फ खिताब जीता, बल्कि निराशा के दौर से भारतीय क्रिकेट को निकाला। अपनी रणनीति पर भरोसा करना, उस साबित करना धोनी ने दुनिया को दिखाया। 

फाइनल में पाकिस्तान एक समय भारत पर भारी पड़ रहा था। लेकिन ऐसे मैच में एक नौसिखिया गेंदबाज से आखिरी ओवर धोनी जैसा कप्तान ही करा सकता था। जोगिन्दर शर्मा आज तक वो ओवर नहीं भूले होंगे। कैसे उस ओवर मेें भारत ने बाजी पलटी और फिर नतीजा सबके सामने था।

युवाओं की टीम को  पछाड़ दिया

धोनी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कप्तान के रूप में और खिलाड़ी के रूप में भी। भारतीय क्रिकेट में जब-जब उनके रिटायरमेंट की चर्चा उठी है, धोनी और निखर कर सामने आये हैं। 

ये आईपीएल धोनी और चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए खास था। दो साल की पाबंदी के बाद चेन्नई की टीम आईपीएल में वापसी कर रही थी और सवालों के बीच धोनी को ये साबित करना था कि न कप्तानी में और न ही क्रिकेटर के रूप में उनका सूरज अस्त हुआ है। 

इस सीजन में खिलाड़ियों के चयन से लेकर रणनीति के नई-नई मिसाल कायम करने वाले धोनी एक बार फिर चर्चा के केन्द्र में हैं। क्रिकेट का ऐसा कोई विशेषण नहीं, जो इस खिलाड़ी के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा। 

टी-20 क्रिकेट में जब नए और युवा खिलाड़ियों के लिए बाकी टीमें जान लगा रही थीं, वहीं शांत चित्त धोनी दूसरी रणनीति बनाने में व्यस्त थे। कैसे खिलाड़ी उनकी टीम को चैम्पियन बनाएंगे। 

आप यकीन करें या न करें धोनी की टीम में नौ ऐसे खिलाड़ी थे, जो 30 की उम्र के थे। धोनी जानते थे कि फिटनेस की बात अपनी जगह है, लेकिन उन्हीं अनुभवी खिलाड़ियों की आवश्यकता है। 

धोनी ने शेन वॉटसन, अंबाती रायडू, डूप्लेसिस और भज्जी जैसे खिलाड़ियों पर दांव लगाया। ये उसी रणनीति का एक हिस्सा था कि धोनी ऐसे खिलाड़ियों पर दांव लगाकर जीत गये और युवा खिलाड़ियों के नाम लाखों खर्च करने वाली दिल्ली की टीम टांय-टांय फिस्स हो गई। 

अगर मुम्बई की टीम को इस सीजन एक फैसला लम्बे समय दुखी करेगा, वो था अंबाती रायडू को छोड़ना। रायडू ने न सिर्फ शानदार बल्लेबाजी की,बल्कि कई जीत के वो कर्ता-धर्ता रहे। अपनी टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन भी उन्होंने बनाए।

क्रिकेट मेें धोनी के योगदान को याद किया जाएगा

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि सौरभ गांगुली के बाद किसी ने भारतीय क्रिकेट को नई-नई प्रतिभाएं देने मंे अपना जी-जान लगा दिया हो, वो धोनी ही हैं। 

विराट कोहली हों, रवीन्द्र जडेजा हों, आर अश्विन हों या रोहित शर्मा कई और खिलाड़ी - धोनी ने इन सब क्रिकेटरों को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के गुर सिखाए हैं, उन्हें तैयार किया है। 

गांगुली से सीखते हुए क्रिकेट की नई परिभाषा को गढ़ने वाले धोनी का योगदान इस कारण भी अद्वितीय है। कप्तान के रूप में धोनी ने भारतीय क्रिकेट क्या दिया है, यह किसी से छिपी हुई बात नहीं है। 

धोनी का मैदान पर होना किसी भी टीम के लिए इतना बड़ा फादयदा है, ये अब टीम की कप्तानी कर रहे विराट कोहली कई बार कह चुके हैं। 

भारतीय क्रिकेट भाग्यशाली रहा है कि हर दौर में उसे कोई न कोई स्टार खिलाड़ी मिला है। सुनील गावस्कर से पहले भी और बाद में भी, सचिन से पहले भी और और बाद में भी ये दौर आता रहा है। विराट कोहली से पहले भी और बाद में भी ये दौर रहेगा। 

लेकिन धोनी का दौर एक ऐसा यादगार दौर रहेगा, जहां भारतीय क्रिकेट को असली सफलता मिली। टीम ने सफलता का स्वाद चखा, सिर्फ एक खिलाड़ी न नहीं, धोनी की यही कामयाबी उन्हें बाकी स्टार क्रिकेटरों से अलग करती है। 

चेन्नई की टीम आईपीएल में तीसरे खिताब का जश्न मना रही थी। कप्तान धोनी कप्तान धोनी को खिताबी ट्राफी मिलती है तभी चेन्नई के खिलाड़ियों का हुजूम मंच पर आ जाता है। जीत में उछलते-कूदते चेन्नई के खिलाड़ी मस्त हैं। ट्रॉफी धोनी के हाथ से खिलाड़ियों के हाथ में आ गई है। 

खाली होते स्टेडियम मेें बच गए फैन्स के हाथों में धोनी के बड़े-बड़े पोस्टर हैं। उनकी आवाज अब मद्धम पड़ने लगी है।  लेकिन क्रिकेट और कप्तान के रूप में धोनी के उपलब्धियों की लौ इतनी जल्दी मद्धम नहीं पड़ने वाली।



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