मिल रहा किसानों को रोजगार

2018-09-01 0

बिहार के दो युवकों ने नौकरी छोड़ शुरू की खेती

 धाीरेन्द्र कहते हैं, कि हमारा मकसद कमाई के साथ लोगों को खेती के लिए आत्मनिर्भर बनाना है। इसमें हम कामयाब भी हो रहे हैं। 

धाीरेन्द्र के मुताबिक पहले साल में हमें लाखों में मुनाफ़ा हुआ। इसके अलावा जो सबसे खास बात यह है कि कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। 


बिहार के धीरेंद्र और आदित्य ने तगड़े पैकेज की नौकरी छोड़ शुरू कर दी खेती। लाखों में कमाई के साथ दे रहे हैं युवाओं को रोजगार---

जो लोग प्रयोग करते हैं और अपने आइडिया को अंजाम तक पहुंचा पाते हैं वो यूनिक बन जाते हैं, उन्हीं लोगों में से है बिहार के सीवान जिले के रहने वाले धीरेन्द्र और आदित्य। इन दो दोस्तों ने अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खेती में मन लगाया और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं। तो आइए, जानते हैं धीरेन्द्र और आदित्य की सफलता की कहानी---

वैसे तो धीरेन्द्र और आदित्य दोनों की पहचान काफी पुरानी है। लेकिन ये बिजनेस पार्टनर करीब दो साल पहले बने। मैनेजमेंट और लॉ की पढ़ाई करने वाले धीरेन्द्र ने बताया कि वह पहले एक एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे। वहीं  माइक्रोलॉजी से पढ़ाई करने वाले आदित्य एनआरआई हैं। 

अक्सर देखा गया है कि लोगों के पास कुछ खास आइडिया तो होता है, लेकिन अपनी नौकरी की वजह से उस आइडिया को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाते। दरअसल, नौकरीपेशा लोग किसी भी तरह के प्रयोग से  हिचकते हैं, वहीं जो लोग प्रयोग करते हैं और अपने आइडिया तक पहुुंचा पाते हैं वो यूनिक बन जाते हैं। उन्हीं लोगों में से हैं बिहार के सीवान जिले के रहने वाले 

धीरेन्द्र और आदित्य। इन दो दोस्तों ने अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती में मन लगाया और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं धीरेन्द्र और आदित्य की सफलता की कहानी।

छोड़ दी बड़ी नौकरी

वैसे तो धीरेन्द्र और आदित्य दोनों की पहचान काफी पुरानी है लेकिन ये बिजनेस पार्टनर करीब दो साल पहले बने। मैनेजमेंट और लॉ की पढ़ाई करने वाले धीरेन्द्र ने बताया कि वह पहले एक मन्ल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे। वहीं माइक्रोबायलॉजी से पढ़ाई करने वाले आदित्य एनआरआई हैं। धीरेन्द्र नौकरी छोड़  बिजनेस करने की सोच रहे थे। तभी उन्होंने कहीं एक खास आइडिया के बारे में पढ़ा। यह आइडिया खेती का था। धीरेन्द्र बताते हैं कि उन्हें इसमें आदित्य का साथ मिला और दोनों ने मिलकर बिहार सरकार के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (।ज्ड।) से खुद को रजिस्टर्ड कराया। 

1 एकड़ के पॉलीहाउस में खेती

धीरेन्द्र आगे कहते हैं कि जब उन्होंने इस पर काम शुरू किया तो पहली नजर में लोगों ने हल्के में लिया। लेकिन हमने इसकी परवाह नहीं की। 

धीरेन्द्र और आदित्य को इस मिशन में सीवान के ही एग्री एक्सपर्ट और मशरूम उत्पादन-प्रशिक्षण समिति के प्रसिडेंट बीएस वर्मा का साथ मिला। रिटायर्ड इंजीनियर वर्मा के पॉलीहाउस में धीरेन्द्र और आदित्य ने खेती शुरू की। करीब 1 एकड़ में फैले पॉलीहाउस में उन्होंने पहले साल टमाटर और शिमला मिर्च की खेती शुरू की। 

मिला लोगों को रोजगार 

पिपरा गांव से ताल्लुक रखने वाले धीरेन्द्र ने बताया कि हमारा मकसद कमाई के साथ लोगों को खेती के लिए आत्मनिर्भर बनाना है। इसमें हम कामयाब भी हो रहे हैं। धीरेन्द्र के मुताबिक पहले साल में हमें लाखों में मुनाफा हुआ। इसके अलावा जो सबसे खास बात यह है कि कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। 

धीरेन्द्र ने आगे बताया कि इस प्रोजेक्ट में उन्हें ।ज्ड। से जुड़े के-के- चौधरी, आर-के- मंडल के अलावा हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के पीके मिश्रा और आरपी प्रसाद का सहयोग मिल रहा है। 

कर रहे मशरूम की खेती

धीरेन्द्र बताते हैं कि वह और आदित्य मिलकर अब मशरूम की खेती कर रहे हैं। धीरेन्द्र कहते हैं कि पॉलीहाउस में वह तीन रैक बनाकर मशरूम उगा रहे हैं। इस सीजन से उन्हें मशरूम की खेती से 10 लाख रुपए तक की कमाई की उम्मीद है।

यह है भविष्य प्लानिंग अपने भविष्य प्लानिग का जिक्र करते हुए धीरेन्द्र ने बताया कि अब उनकी योजना फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की है। इसके जरिए मशरूम से बनने वाले प्रोडक्ट को तैयार किया जाएगा। इसके अलावा किसानों से जुड़कर उन्हें अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराया जाएगा। धीरेन्द्र ने बताया कि किसानों में जो खेती को लेकर भरोसा खत्म हो गया था उसे फिर से वापस लाना चाहते हैं।  



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