कहानी

फौजी ढाबा - कहानी
करतार सिंह ने रिटायर होने के बाद गांव के बाहर एक ढाबा खोल लिया था। हाइवे पर मौजूद यह ढाबा हर गुजरने वाले ट्रक ड्राइवर की पहली पसंद था। ‘फ़ौजी ढाबा’ की दाल मखनी और पिस्तई खीर के सभी दीवाने थे।... आगे पढ़ें

गुलाबी कागजः हरा-भरा जीवन हुआ बदरंग
एक गुलाबी रंग के कागज ने न जाने कितनी खुशहाल जिंदगियों को बदरंग कर दिया था। कोई अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा था तो कोई कहीं ओर।... आगे पढ़ें

कहानी - बुझते दिए की लौ
बरसों बाद नूपुर से मिलकर एक बार फि़र जिंदगी खुशनुमा सी लगने लगी थी। लेकिन जिंदगी के इस मोड़ पर हमेशा के लिए एक-दूसरे का साथ पाना आज भी इतना आसान नहीं था।... आगे पढ़ें

कहानी - कीमत संस्कारों की
रीसन ने जैसे ही टेलीफ़ोन पर अपनी लंबी बात समाप्त की उसे अचानक कुछ याद आया और वह तेजी से अपने पिता दीनप्रभु के कमरे की ओर भागा- ... आगे पढ़ें

डॉ- विष्णु विराट की कहानी आखिर कहां तक?
बुढ़ापे में बच्चों से माता-पिता क्या चाहते हैं। अपनी थोड़ी देखभाल, प्यार के दो मीठे बोल, अपनापन ही न। बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा करने, उन्हें... आगे पढ़ें