काजू की कीमत सुन डर जाते हैं, लेकिन भारत का एक शहर जहां आलू-प्याज से सस्ता है काजू

2018-09-01 0

इलाके के लोग बताते हैं जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा को काजू खाना बेहद पसंद था। इसी वजह से वह चाहते थे कि जामताड़ा में काजू के बागान बन जाएं तो वे ताजा और सस्ता काजू खा सकेंगे।

जामताड़ाः लोगों में ड्राईफ्रूट का शौक होता है। लेकिन कीमत सुनते ही आम लोग खरीदने से बचते हैं। जो कुछ हिम्मत जुटा लेते हैं वे कम मात्र में खरीदकर जरूरतों को पूरा करते हैं। ड्राईफ्रूट में अक्सर काजू काफी महंगा सौदा होता है। ऐसे में कोई कहे कि काजू की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो शायद ही कोई विश्वास करे। दिल्ली में 800-1000 रुपए किलो के हिसाब से लोग काजू खरीदते हैं। लेकिन दिल्ली से 1200 किलोमीटर दूर झारखंड में काजू काफी सस्ता है। झारखंड के जामताड़ा जिले में काजू 10 से 20 रुपए प्रति किलो बिकता है। जामताड़ा के नाला इलाके में करीब 49 एकड़ जमीन पर काजू के बागान हैं। बागान में काम करने वाले बच्चे और महिलाएं काजू को बेहद सस्ते दाम में बेच देते हैं। बता दें कि ये बागान जामताड़ा ब्लॉक मुख्यालय से चार किलोमीटर की दूरी पर है। 



यहां काजू की खेती होने की कहानी भी दिलचस्प है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जामताड़ा में काजू की इतनी बड़ी पैदावार चंद साल की मेहनत के बाद शुरू हुई है। इलाके के लोग बताते हैं कि जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा को काजू खाना बेहद पसंद था। इसी वजह से वह चाहते थे कि जामताड़ा में काजू के बागान बन जाएं तो वे ताजा और सस्ता काजू खा सकेंगे। यही कारण है कि कृपानंद झा ने ओडिशा में काजू की खेती करने वालों से मुलाकात की। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जामताड़ा की 

भौगोलिक स्थिति का पता लगवाया। इसके बाद यहां काजू की बागवानी शुरू की। देखते ही देखते चंद साल में यहां काजू की बड़े पैमाने पर खेती होने लगी। 

कृपानंद झा के यहां से जाने के बाद निमाई चन्द्र घोष एंड कंपनी को केवल तीन लाख रुपए 

भुगतान पर तीन साल के लिए बागान की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया। एक अनुमान के मुताबिक बागान में हर साल हजारों क्विंटल काजू होता है। देखरेख के अभाव में स्थानीय लोग और यहां से गुजरने वाले काजू तोड़कर ले जाते हैं। 

काजू की बागवानी में जुटे लोगों ने कई बार राज्य सरकार से फसल की सुरक्षा की गुहार लगाई, पर खास ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल सरकार ने नाला इलाके में 100 हेक्टेयर भूमि पर काजू के पौधे लगाए जाने की बात कही थी। पौधा रोपण की सभी प्रकार की 

तैयारी विभाग ने पूरी कर ली है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत काजू पौधा लगाने की जिम्मेदारी जिला कृषि विभाग को दी गई, लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं शुरू हो सका है। सरकार ने इलाके के किसानों की हालत सुधारने के लिए यहां काजू की बागवानी बढ़ाने और उन्हें उचित दाम दिलाने का वादा कर रही है। 



ये भी पढ़े :


Tags:


मासिक-पत्रिका

अन्य ख़बरें

न्यूज़ लेटर प्राप्त करें