भारत में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कायदे और कानून

2018-09-01 0


अचल सम्पत्ति की खरीद और बिक्री के दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, ताकि फ्रॉड से बचा जा सके और सम्पत्ति का सही टाइटल सुनिश्चित हो।भारत में दस्तावेजों का पंजीकरण इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत आता है। इस कानून के तहत विभिन्न दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन होता है, ताकि सबूतों का संरक्षण, धोखाधड़ी की रोकथाम और टाइटल सुनिश्चित हो सके। 

अनिवार्य पंजीकरण के जरूरी सम्पत्ति दस्तावेज

रजिस्ट्रेशन 1908 के सेक्शन 17 के मुताबिक सभी लेनदेन, जिसमें एक अचल सम्पत्ति की बिक्री शामिल होती है। (100 रुपए से ज्यादा वैल्यू वाली) को रजिस्टर्ड कराया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि अचल सम्पत्ति की बिक्री से जुडे़ सभी लेनदेन को पंजीकृत कराया जाना चाहिए, क्योंकि कोई भी अचल सम्पत्ति 100 रुपए में तो खरीदी नहीं जा सकती। इसके अलावा अचल सम्पत्ति गिफ्रट के साथ-साथ 12 महीनों से ज्यादा की अवधि के लिए लीज पर दी गई सम्पत्ति को भी अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराना जरूरी है। खासकर उन मामलों में अगर कोई पक्ष सब-रजिस्ट्रार के दफ्रतर नहीं आ सकता तो सब-रजिस्ट्रार अपने किसी अफसर को रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज उस शख्स के घर से लेने के लिए नियुक्त कर सकता है। ‘अचल सम्पत्ति’ में जमीन, इमारत और इन सम्पत्तियों के कोई भी अधिकार जुड़े होेते हैं। 

प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज

जिन दस्तावेजों का पंजीकरण होना है उन्हें सब-रजिस्ट्रार के दफ्रतर में जमा कराना होगा। ध्यान रहे कि जिस इलाके में सम्पत्ति स्थित है, उसी के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में दस्तावेज जमा होंगे। दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए ग्राहक और विक्रेता को दो गवाहों के साथ उपस्थित होना होगा। दोनों पार्टियों के पास अपने-अपने आईडी प्रूफ होने चाहिए। जो दस्तावेज मान्य है, वे हैं आधार कार्ड, पैन कार्ड, या सरकार द्वारा जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र। अगर हस्ताक्षर करने वाले दोनों लोग किसी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो उन्हें पूर्ण अधिकार हासिल है। अगर किसी समझौते में कोई कंपनी एक पक्ष है तो उसका प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति के पास जरूरी दस्तावेज जैसे पॉवर ऑफ अटॉर्नी/लेटर ऑफ अटॉर्नी, कंपनी के बोर्ड की रेजोल्यूशन कॉपी होनी जरूरी है, ताकि वह रजिस्ट्रेशन  की प्रक्रिया पूरी कर सके।

स्टैंप ड्यूटी के भुगतान और असली दस्तावेजों के अलावा आपको सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में प्रॉपर्टी कार्ड भी दिखाना होगा। दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन करने से पहले सब-रजिस्ट्रार यह चेक करेगा कि क्या स्टैंप ड्यूटी का तय दरों के हिसाब से भुगतान किया गया है या नहीं। अगर स्टैंप ड्यूटी भुगतान में कोई गड़बड़ पाई जाती है तो सब-रजिस्ट्रार दस्तावेज रजिस्टर करने से इन्कार कर सकता है। 

समय सीमा और फ़ीस 

जिन दस्तावेजों को अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड कराना है, उन्हें निष्पादन के चार महीने के भीतर तय फीस के साथ जमा कराना चाहिए। अगर समय सीमा बीम जाती है तो आप सब रजिस्ट्रार के दफ्रतर में एप्लीकेशन दायर कर अगले 4 महीने के भीतर देरी

के लिए माफी मांग सकते हैं। रजिस्ट्रार जुर्माना (जो असली रजिस्टेªशन फीस का 10 गुना हो सकती है) लगाकर दस्तावेजों का रजिस्टेªशन कर सकता है। प्रॉपर्टी की रजिस्टेªशन फीस सम्पत्ति का 1 प्रतिशत हो सकती है। पहले रजिस्टेªशन के लिए लाए जाने वाले दस्तावेज आपको 6 महीने बाद दिए जाते थे। लेकिन सब-रजिस्ट्रार दफ्रतरों में कंप्यूटर आने के बाद आपको दस्तावेज उसी दिन स्कैन करके लौटा दिये जाते हैं। 

रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 

अगर आप प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते तो बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। जिस दस्तावेज का पंजीकरण होना अनिवार्य है और वह नहीं हो पाया तो उसे कोर्ट के सामने सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता। 




मासिक-पत्रिका

अन्य ख़बरें

न्यूज़ लेटर प्राप्त करें