साक्षरता और शिक्षा में अंतर

2018-09-01 0


 

साक्षरता एवं शिक्षा में बहुत बड़ा अंतर होता है। एक व्यक्ति बिना साक्षर हुए भी पूर्ण रूप से शिक्षित हो सकता है। अकबर महान इसका एक सर्वोत्तम उदाहरण है। बहुत से संत महात्मा एवं धार्मिक गुरु निरक्षर थे, लेकिन वे काफी ज्ञानी थे---

सफलता की कला वास्तव में हमारे मस्तिष्क के दक्षतापूर्ण संचालन की एक कला है। यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि साक्षरता एवं शिक्षा में बहुत बड़ा अंतर होता है। एक व्यक्ति बिना साक्षर हुए भी पूर्ण शिक्षित हो सकता है। अकबर महान इसका एक सर्वोत्तम उदाहरण है। बहुत से संत महात्मा एवं धार्मिक गुरु निरक्षर थे, लेकिन वे काफी ज्ञानी थे। दूसरी ओर हमारे देश में या विश्व में कहीं भी साक्षर और उच्च डिग्री प्राप्त लोगों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन उन लोगों की संख्या काफी कम होती है, जो उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने तथा इस विश्व को कुछ अर्थपूर्ण योगदान दे जाने के लिए वास्तविक रूप से स्वयं को शिक्षित होने का दावा करते हैं। सच्चे अर्थ में शिक्षा का सीधा सम्बंध आत्मबोध से होता है। अकादमिक शिक्षा हमें साक्षर और सूचनाओं एवं ज्ञान से समृद्ध बना सकती है लेकिन उनका इस्तेमाल एवं अर्थवत्ता हमारी वास्तविक शिक्षा की शक्ति पर निर्भर करती है। गैलीलियो का कहना है कि आप व्यक्ति को कुछ भी नहीं सिखा सकते। आप उसे स्वयं के अंदर ढूंढ़ने में केवल सहायता कर सकते हैं। ईश्वर ने पहले से ही महमारे मस्तिष्क को शक्ति प्रदान कर रखी है। हमें सिर्फ इस बात की खोज करनी है कि हम अधिकतम लाभ के लिए उसका कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। एक सच्चा शिक्षक वही है जो अपने विद्यार्थी के मस्तिष्क की मौलिकता को मारे नहीं, बल्कि उसे आत्मानुभूति करने में सहायता प्रदान करे। मैं इस संबंध में गौतम बुद्ध के दर्शन में काफी विश्वास करता हूं। वह कहते हैं कि किसी भी चीज पर तब तक विश्वास मत करो, जब तक कि वह तुम्हारे अपने विवेक एवं अपनी सहज बुद्धि को स्वीकार्य न हो, चाहे जहां से तुमने उसे पढ़ा हो या जिसने भी कहा हो, यहां तक चाहे मैंने भी कहा हो। इस प्रकार सफलता की मेरी कला का उद्देश्य आप सबको उन गुणों को याद  दिलाना है, जो पहले से ही आपके मस्तिष्क में गहरे बैठे हुए हैं। आपको सिर्फ अनुभव करने और अपनी उच्च उपलब्धियों के लिए गति प्रदान करने की जरूरत है। यहां यह समझना प्रासंगिक होगा कि हम किसी भी चीज का उसे सम्बंधित चीज को सही परिप्रेक्ष्य में पहचान, समझ और व्याख्यायित करने में असमर्थ होंगे, जिससे सम्बंधित सूचना हमारी होती है। जिस प्रकार से कंप्यूटर बिना उपयुक्त सॉफ्रटवेयर के इच्छित परिणाम नहीं दे सकता, ठीक ऐसी ही स्थिति हमारे मस्तिष्क की भी होती है। हमें जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको उपयुक्त सॉफ्रटवेयर की  आवश्यकता होती है। सिविल सेवा के परीक्षा के मामले में आपके व्यक्तित्व में प्रशासनिक गुणों वाले मानवीय सॉफ्रटवेयर की जरूरत होगी। आपके पास इनमें से अधिकांश चीजें मौजूद हैं,  बस जरूरतों के अनुरूप उनको परिमार्जित करने की आवश्यकता है। अब तक आपका मानव सॉफ्रटवेयर शैक्षिक है और ये सब आपके व्यक्तित्व में अनियमित एवं अनियंत्रित तरीके से समाहित होते रहते हैं, क्योंकि बचपन से ही आपके माता-पिता, परिवार, स्कूल, कॉलेज अन्य शैक्षणिक संस्थानों, मित्रें, सम्बंधियों, शिक्षकों, मीडिया एवं विभिन्न प्रकार के अध्ययन द्वारा इसी प्रकार की प्रोग्रामिंग की जाती रही है।  




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