डिजिटल मार्केट में HT का वर्चस्व

2018-09-01 0

‘HT डिजिटल स्ट्रीम्स’ के चीफ डिजिटल ऑफिसर और सीईओ - राजीव बंसल

‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ के चीफ डिजिटल ऑफिसर और सीईओ राजीव बंसल का कहना है कि देश में डिजिटल मार्केट पर अपना प्रभुत्व जमाने की दिशा में एचटी मीडिया’ काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मात्र 40 वर्ष की उम्र में लगभग एक दशक पुरानी कंपनी ‘एचटी मीडिया’  को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में राजीव बंसल जी-जान से जुटे हुए हैं। एक बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि इस साल डिजिटल न्यूज में किस तरह कंपनी सबस्क्रिप्शन मॉडल लॉन्च करेगी। 

प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंशः

एचटी ने वर्ष 2016 में डिजिटल की दिशा में आगे बढ़ते हुए अपने ऑफिस में काफी बदलाव किया था। एक साल बाद जॉइन करने पर आपको किन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

जब मैंने एचटी जॉइन किया था, तब हम मल्टीपल इंडिपेंडेंट बैंड्स की तरह काम कर रहे थे। हमारे पास चार कोर वेबसाइट्स 'Hindustan Times.com', 'Live Hindustan', 'Live Mint'  और 'Desi Martini'  हैं। आंकड़ों के अनुसार 'Desi Martini'  देश की दूसरी सबसे बड़ी मूवी साइट है। इसके अलावा हम यूट्यूब पर दुनिया के सबसे बड़े मल्टी चैनल नेटवर्क्स मेंं भी शामिल हैं। इसके एक बिलियन से ज्यादा वीडियो व्यूज हैं। गत वर्ष हमारा ब्रैंडेड कंटेंट बिजनेस दोगुना हो गया था। हम कॉरपोरेट कंटेंट पर भी काफी ध्यान देते हैं, जहां पर एक तरफ हम पब्लिशर्स के साथ काम करते हैं, वहीं हम कॉरपोरेट पार्टनर्स के साथ भी काम करते हैं ताकि उनकी वेबसाइट को और मजबूती प्रदान की जा सके। इसलिए, यह बिजनेस का बिल्कुल अलग तरीका है। जब मैंने यहां ज्वाइन किया था तो वे लोग आपस में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम नहीं कर रहे थे। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती अपनी कोर स्टेªटजी का पता लगाना और उस हिसाब से काम करना था। 

आपने जब कंपनी को ज्वाइन किया था, उससे पहले ‘एचटी’ ने प्रिंट और डिजिटल न्यूज को मिलाने में कई करोड़ रुपए खर्च किए थे। क्या इस निवेश का भी फायदा मिला?

हमने ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो कंटेंट को प्रिंट वर्जन और वेबसाइट दोनों पर मिलाकर काम करता है। ऐसे में जब प्रिंट का रिपोर्टर किसी स्टोरी को तैयार करता है तो यह सेंट्रलाइज्ड कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम में आ जाती है। उस सिस्टम से लेकर हम डिजिटल अथवा प्रिंट के लिए अपने हिसाब से स्टोरी तैयार कर सकते हैं। हमें प्रिंट रिपोर्टर्स और डिजिटल रिपोर्टर्स के लिए अलग-अलग सेट तैयार करने की जरूरत होती है। हमारे लिए न्यूज कवर कर रहे हजारों लोगों का उपयोग करने में हम सक्षम हैं। हम बेहतरीन टेक्नोलॉजी इंफ्रॉस्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे न्यूज को तय फॉर्मेट में रखा जा सके। इंटीग्रेटेड न्यूजरूम की दिशा में कदम रखने से पूर्व यह हमारे लिए संभव नहीं था। इसके अलावा हम अपने ऑडियन्स से और गहरा जुड़ाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ये ऑडियंस हमारी साइट पर सोशल नेटवर्क अथवा गूगल सर्च से आने वाले ऑडियंस के मुकाबले करीब दस गुना ज्यादा जुड़े रहते हैं। 

आपकी न्यूज वेबसाइट अंग्रेजी अथवा हिन्दी भार्षी ऑडियंस के लिए है, जबकि देशी भाषा के ऑडियन्स के लिए इसमें कुछ भी नहीं है। क्या आप इस दिशा में भी कोई कदम उठाने की सोच रहे हैं?

स्थानीय भाषाएं काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसलिए जब भी मैं अपनी हिन्दी वेबसाइट की ग्रोथ की तुलना अंग्रेजी से करता हूं तो पाता हूं कि पिछले 24 महीनों में हिन्दी से हमारा जुड़ाव महीने दर महीने बढ़ता ही जा रहा है और यह लगातार हो रहा है। जब हमने हिन्दी में शुरुआत की थी तो अंग्रेजी के मुकाबले स्थिति काफी कमजोर थी। अब यह अंग्रेजी के बराबर आती जा रही है और जल्द ही यह अंग्रेजी से काफी आगे निकल जाएगी। जब भी मैं मल्टी चैनल नेटवर्क की बात करता हूं, तो हम यूट्यूब पर भी है, जहां पर न्यूज और एंटरटेनमेंट दोनों में हिन्दी और अंग्रेजी कंटेंट जैसी कोई बात नहीं है बल्कि यह देशी कंटेंट (पंजाबी, भोजपुरी और गुजराती) है। लोग आजकल अपनी स्थानीय भाषा में कंटेंट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए हम भी स्थानीय भाषा के कंटेंट में निवेश करने की योजना बना रहे हैं। इस बारे में जल्द ही हमारी ओर से आपको कुछ नई चीज सुनने को मिलेगी। 

अपनी डिजिटल सम्पत्तियों के लिए क्या आप सभी सबस्क्रिप्शन का रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं?

न्यूज मीडिया इंडस्ट्री में यदि कोई आपको बोलता है कि वे सबस्क्रिप्शन रूट को अपनाने नहीं जा रहे हैं तो या तो वह झूठ बोल रहा है या जल्द ही दिवालिया होने जा रहा है। हम निश्चित रूप से अपने सबस्क्रिप्शन मॉडल को लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। इस साल हम अपने कुछ ब्रैंड्स के साथ इसे परीक्षण के तौर पर शुरू करने की योजना बनाई है जल्द ही हम इसमें आगे बढ़ेंगे और अगले साल बड़े स्तर पर शुरू करेंगे। 

‘इकोनॉमिक टाइम्स’ और ‘बिजनेसलाइन’ अखबार पहले ही सबस्क्रिप्शन की दौड़ में कूद चुके हैं। ‘एचटी’ को इस तरह की शुुरुआत करने में इतना समय कैसे लग गया। क्या आप दूसरों की तरह इस मॉडल की शुरुआत अपने बिजनेस अखबार 'The mint' से करेंगे?

इस समय हम विभिन्न मॉडल्स के साथ प्रयास करेंगे। मेरा मानना है कि मिंट जैसा अखबार स्वाभाविक रूप से सबस्क्रिप्शन मॉडल का हकदार है, क्योंकि इसका कंटेंट बहुत उच्च क्वालिटी का है। इसलिए हम निश्चित रूप दूसरों के साथ भी प्रयोग करेंगे। डिजिटल में बड़ा निवेश करने के बिना हमारे पास इन चीजों को शुरू करने के लिए फ्रेमवर्क यानी आधारभूत ढांचा नहीं होता। दूसरी बात ये कि हमारी डिजिटल टीम अब अनीश नायर के साथ काम कर रही है जो कुछ समय पूर्व ही हमसे जुड़े हैं लेकिन कहा जा रहा है कि हम इस पर लम्बे समय से काम कर रहे हैं।

हम सिर्फ प्रोडक्ट तैयार करने की प्रक्रिया में जुटे हैं, जिस पर हम पूरी तरह से भरोसा कर सकें। हम अपनी क्वालिटी पर फोकस करना चाहते हैं और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मार्केट में पहले कौन आया और किसने इस बारे में सार्वजनिक घोषणा की। हमें पूरा भरोसा है कि सारी चीजें हमारे अनुकूल हाेंगी। 

‘एचटी’ का नॉन प्रिंट बिजनेस काफी देरी से शुरू हुआ है। आपका ज्यादातर रेवेन्यू अभी भी प्रिंट बिजनेस से ही आता है। आपको क्या लगता है कि डिजिटल को इस स्थिति में आने में कितना समय लगेगा?

यह सच बात है कि हमारे ऑडियन्स अखबार से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं और यह स्थिति अब भी जारी है लेकिन यदि आप 18 साल के युवाओं से बात करेंगे तो वे न सिर्फ टेक्स्ट फॉर्मेट बल्कि डिजिटल फॉर्मेट में भी बेहतर करेगा। इसका मतलब ये नहीं है कि प्रिंट बिजनेस में हमारा विश्वास कम हुआ है। हमें अपने प्रिंट बिजनेस पर भी पूरा भरोसा है। 

आपको क्या लगता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से आपको कितनी जल्दी रेवेन्यू मिलने लगेगा, इसकी अब तक की ग्रोथ कैसी रही है?

मेरा मानना है कि डिजिटल पहले से ही रेवेन्यू जुटा रहा है। हम हर पैरामीटर पर चुनौतियां स्वीकार कर रहे हैं। अभी तक इसकी ग्रोथ बहुत अच्छी रही है। हम  उन क्षेत्रें में फिलहाल निवेश कर रहे हैं जिनके बारे में हमें पता है कि अगले पांच साल में अच्छा रिटर्न मिलेगा। 


क्या आपको लगता है कि एक साल पहले जब आपने इस संस्थान को ज्वाइन किया था, तब से लेकर अब तक एचटी डिजिटल एक लंबा रास्ता तय कर चुका है?

मेरे विचार से हम अभी मझधार में हैं और स्थिति काफी अनुकूल है। हम जानते हैं कि प्रत्येक दिन और प्रत्येक सप्ताह हम पहले से बेहतर कर रहे हैं। इसलिए पिछले दो हफ्रते में हमने हिन्दी, अंग्रेजी और श्क्मेपडंतजपदपश् आदि में अनेक तरीकों से अपना रुझान बढ़ाया है। 






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