हिन्दुस्तानियों के लिए गौरव क्षण। .....

2018-09-01 0

संयुक्त राष्ट्र अब आपके लिए हिन्दी में ट्वीट कर रहा है   यूएन का हिन्दी ट्विटर अकाउंट 11 जुलाई 2018 को शुरू हुआ। ये पहल हिन्दी भाषा में ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के मकसद से की गई है।

निश्चित तौर पर यह हम हिन्दुस्तानियों के लिए गौरव का क्षण है। खास तौर से हिन्दी भाषी क्षेत्रा के उन निवासियों के लिए, जिन्हें अपनी भाषा बोलने में हिचक होती है। हिन्दी पर देश में और देश के बाहर भी बहुत काम हो रहा है। यूं कहें कि पूरी दुनिया में हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ रही है। गूगल जैसी अमेरिकी कंपनी ने तो हिन्दी पर बरसों पहले काम शुरू किया और लगातार कर रही है। कुछ दिनों पहले एक वर्कशाप में सवाल पूछा गया कि हमें समाचारों के लिए किस भाषा में वेबसाइट शुरू करनी चाहिए? एक्सपर्ट का जवाब था-हिन्दी में। किसी भी हिन्दी प्रेमी के लिए यह बहुत गौरव का क्षण था। 



एक्सपर्ट के मुताबिक लगभग 55-60 करोड़ हिन्दी भाषा को जानने-समझने वाले इसी देश में रहते हैं तो अंग्रेजी के 18 करोड़। देश की अन्य बड़ी भाषाओं में ज्यादातर 8-9 करोड़ या इससे भी कम। एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि हिन्दी को अब कोई कमजोर नहीं मान सकता। 

हिन्दी पर गर्व करने के अनेक कारणों के बीच पत्राकारों के सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए मुझे श्रीलंका जाने का मौका मिला। भाषण मुझे भी देना मगर अंग्रेजी में। उस हाल में पहुंचा तो सभी लोग अंग्रेजी में बातचीत करते देखे-सुने गए। मैंने सोचा कि चलो ठीक हुआ, तैयारी अंग्रेजी में की है। पर, कार्यक्रम शुरू हुआ तो श्रीलंका में कई विद्वतजनों ने अंग्रेजी को छोड़ सिंहली में भाषण देना शुरू किया। मेरी बारी आई, तो मैंने भी अंग्रेजी छोड़ अपना पूरा भाषण हिन्दी में दिया। मुझे लगा कि अगर यहां पर मैंने हिन्दी नहीं बोली तो हमारे देश की बदनामी होगी। 

स्वर्गवासी श्री गोपालदास ‘नीरज’ के सुपुत्रा शशांक प्रभाकर ने अपने कई साथियों के साथ हाल ही में लंदन में हिन्दी का झंडा अपनी कविताओं के जरिए बुलंद किया। मेरा सिर्पफ यह कहना है कि आप अंग्रेजी ही नहीं, दुनिया भर में पैफली सैकड़ों भाषाएं सीखिए, बोलिए, लेकिन हिन्दी को हेय दृष्टि से न देखिए। उसका सम्मान कीजिए।

ये हम हिन्दुस्तानियों की पहली जिम्मेदारी है। ज्ञान पर किसी का एकाध्किार नहीं है लेकिन हिन्दी पर पहला अध्किार हमारा ही है। हम जब इसकी इज्जत करेंगे, तो ही दुनिया में इसका नाम बढ़ेगा। हिन्दी बढ़ेगी तो हम भी बढ़ेंगे। 

जय हिन्द! जय हिन्दी!


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