डीएनए प्रौद्योगिकी से सुलझेगी अपराधाों की गुत्थी

2018-10-04 0

अब्दुल रशीद 

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जुलाई, 2018 को डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018 को मंजूरी प्रदान की है। इस विधेयक के माध्यम से डीएनए प्रयोगशालाओं का अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन संभव होगा।

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018, एक बिल का नवीनतम संस्करण है जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तैयार डीएनए ‘प्रोफाइलिंग’ बिल के रूप में उभरा है। उस मसौदे कानून का उद्देश्य अपराध दृश्यों से एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर या गायब व्यत्तिफ़यों की पहचान के लिए व्यत्तिफ़यों की पहचान करने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकियों को एकत्रित करने और तैनात करने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना था।

‘डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक’ को कानून बनाए जाने के पीछे प्राथमिक उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं सुदृढ़ बनाने के लिए डीएनए आधारित फोरेन्सिक प्रौद्योगिकियों का व्यापक विस्तार करना है। ऐसी प्रौद्योगिकीयों के माध्यम से अपराधों के समाधान एवं गुमशुदा व्यत्तिफ़यों की पहचान के लिए डीएनए आधारित प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता दुनिया भर में पहले से स्वीकृत है। डीएनए प्रयोगशालाओं के अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन के प्रावधान के जरिए इस विधेयक में इस प्रौद्योगिकी का देश में विस्तारित उपयोग सुनिश्चित किया गया है। इस बात का भी भरोसा दिलाया गया है कि डीएनए परीक्षण परिणाम भरोसेमंद हो और नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों के लिहाज से डाटा का दुरुपयोग न हो सके। इस विधेयक के अस्तित्व में आने के बाद न्याय मिलने में तेजी आने के साथ ही अपराध सिद्धि दर में बढ़ोत्तरी होगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गुमशुदा व्यत्तिफ़यों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले अज्ञात शवों की पहचान आसानी से होगी। इसके साथ ही बड़ी आपदाओं के शिकार हुए व्यत्तिफ़यों की पहचान करने में भी सहायता प्रदान करेंगे।


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फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग थ्वतमदेपब क्छ। चतवपिसपदह का ऐसे अपराधों के समाधान में स्पष्ट महत्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े अपराध का समाधान किया जाता है।

2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रति वर्ष तीन लाख  से अधिक है। इनमें से केवल बहुत छोटे हिस्से का ही वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है। उम्मीद है कि अपराधों के ऐसे वर्गों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि सजा दिलाने की दर भी बढ़ेगी, जो वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत (2016 के एनसीआरबी आंकड़े) है।

डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड विधेयक में एक डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड को बनाए जाने का प्रावधान है जो राज्य स्तरीय डीएनए डाटाबेस के निर्माण को अधिकृत करेगा, डीएनए-प्रौद्योगिकियों के संग्रह और विश्लेषण के तरीकों को स्वीकार करेगा। इस विधेयक के अनुसार कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डीएनए नमूने एकत्र करने, ‘डीएनए प्रोफाइल’ बनाने और फोरेंसिक-आपराधिक जांच के लिए विशेष डेटाबेस बनाने की अनुमति देता है।

विज्ञान को मिलेगा बढ़ावा असल में देश भर में डीएनए प्रयोगशालाओं को स्थापित करने के लिए काफी अधिक निवेश और कुशल एवं प्रशिक्षित व्यत्तिफ़यों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही डीएनए डाटा को संग्रहण और संसाधन के लिए तेजी गति वाले कम्प्यूटरों की आवश्यकता होगी।


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