जानें सूचना का अधिाकार

2018-11-01 0

जानना क्या जरूरी है? लोकतंत्र में शासन लोगों का होता है। हम शासन चलाने के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। सारा सरकारी काम हमारे लिए हमारे पेसे से ही होता है। यह काम जरूरतों के अनुसार हो इसके लिए हमें काम की पूरी-पूरी जानकारी होनी चाहिए।

जानें सूचना का अधिकारसूचना का अधिकार कानून 2005 नागरिकों को सरकारी, गैर सरकारी जहां सरकार का अनुदान आता है। दफ्रतरों की फाइलों में दर्ज सूचनाओं को जानने ओर पूछने का अधिकार देता है। यह कानून 12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में सारे प्रावधानों के साथ लागू हुआ। यह संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार में समाहित अधिकार है। अनुच्छेद 19 भारत के हर नागरिक के बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार को सुनिश्चित मामले में 1976 में उच्चतम न्यायालय के फैसले का भाव था कि लोग जाने बगैर बोल या स्वयं को अभिव्यक्ति कैसे कर सकते हैं। दूसरे लोकतंत्र में जनता ही मालिक या स्वामी है। अतः मालिकों का यह हक है कि वे जान सकें कि सरकार उनके हितों की रक्षा व सेवा कैसे कर रही है। तीसरे ये कि सभी नागरिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को कर अदा करते हैं। अतः इस देश के नागरिकों को यह हक है कि वे जानें कि उनका पैसा सरकार कहां और कैसे खर्च कर रही है। अब सवाल उठता है कि जब सूचना का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों का हिस्सा है तो फिर अलग से सूचना का अधिकार कानून 2005 क्यों बनाया गया?


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इसका सीधा-सा उत्तर है कि यदि हम किसी सरकारी कार्यालय या गैर-सरकारी में जहां सरकारी अनुदान आता है, में जाकर कहूं कि यह मेरा मौलिक अधिकार है कि मैं आपका सारा रिकॉर्ड देख सकता हूं। इस पर सम्बंधित अधिकारी आपको धमका कर दफ्रतर से निकाल देगा या अपने चपरासी से कहकर बाहर निकलवा देगा। आम आदमी के लिए संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की जो स्थिति है उससे हम भलीभांति परिचित हैं। इसलिए सूचना का अधिकार के माध्यम से सूचना मांगने के लिए फीस आदि का प्रावधान किया गया है। इसके लिए सरकार के सम्बंधित विभागों में सूचना अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है। आम आदमी द्वारा जो भी जानकारी मांगी जाएगी, उसको इस कानून के द्वारा सूचना प्रदान करना सम्बंधित विभागों की बाध्यता है कि वे एक निश्चित समय में जानकारी प्रदान करें अन्यथा अर्थदंड भुगतना पड़ेगा।

जानना क्या जरूरी है? लोकतंत्र में शासन लोगों का होता है। हम शासन चलाने के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। सारा सरकारी काम हमारे लिए हमारे पैसे से ही होता है। यह काम जरूरतों के अनुसार हो इसके लिए हमें काम की पूरी-पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसे कहते हैं शासन में लोगों की भागीदारी। कई ऐसे निर्णय आते हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। सरकारी कामों में हमारा बहुत पैसा भी लगता है। हमें यह अधिकार है कि हमें ऐसी जरूरी बातों के बारे में पता चले। यदि सारे काम के बारे में खुली जानकारी होगी तो भ्रष्टाचार की संभावना कम हो जाती है। इसे कहते हैं शास में पारदर्शिता। सरकार और शासन लोगों के लिए है और कानून से ऊपर नहीं है यदि काम सही ढंग से नहीं होता, तो शासन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यदि किसी नदी पर पुल बनता है और वह अचानक बाढ़ में टूट जाए या कोई सड़क समय से पहले ही क्षतिग्रस्त हो जाए तो लोगों को यह जानने का अधिकार है कि दोष किसका था और दोषी के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है। इसे कहते हैं शासन की जनता के प्रति जवाबदेही।

इसलिए निर्णय जानने के लिए अनेक तरह के मुद्दों के बारे में सूचित रहने के लिए हिसाब मांगने के लिए ब्यौरा मांगने के लिए और शासन को अपने काम के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए सूचना आवश्कय है। देश  के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के यह अधिकार है। देश के सभी नागरिक सूचनाएं मांग सकते हैं। इसमें उम्र शिक्षा का कोई बंधन नहीं है।


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