ईरान के उकसाने पर हम युद्ध के लिए तैयार हैं

2019-06-01 0


बीते दिनों सऊदी अरब की प्रतिष्ठित तेल पाइप लाइनों पर हवाई हमले किए गए थे। इसका जिम्मेदार यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों को माना गया था।

सऊदी अरब ने इन हमलों के लिए ईरान पर आरोप लगाए हैं और कहा है कि ईरान के आदेश पर यह हवाई हमले करवाए गए। यमन में मौजूद हूती विद्रोहियों का समूह ईरान की तरफ झुकाव रखता है।

दो दिन पहले ही सऊदी अरब के तट पर मौजूद दो तेल टैंकरों और चार जहाजों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। शक ईरान पर जाहिर किया गया लेकिन ईरान ने इनमें से किसी भी हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है।

ईरान और अमरीका के परमाणु संधि से हटने और उसके बाद मध्य-पूर्व में अमरीकी सेना की तैनाती में हुई बढ़ोतरी की वजह से मध्य-पूर्व में पहले से ही अस्थिरता छाई हुई है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री अदेल अल-जुबैर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘सऊदी अरब इस इलाके में किसी भी तरह का संघर्ष नहीं चाहता।’’

‘‘हम किसी भी तरह के युद्ध की आशंका से बचने के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर दूसरी तरफ से हमें युद्ध के लिए उकसाया जाएगा तो हम भी उसका भरपूर जवाब देने के लिए तैयार हैं।’’

खाड़ी देशों की आपात बैठक

सऊदी अरब के किंग सलमान ने खाड़ी और अरब देशों के नेताओं को न्योता भेजा है कि वो मक्का में एक आपातकालीन बैठक के लिए आएं ताकि इन हमलों के नतीजों पर चर्चा की जा सके।

वहीं संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रलय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अरब और खाड़ी देश में पैदा हुए ताजा हालात का सामना मिलकर करना होगा।

इस बीच सऊदी अरब के सुन्नी सहयोगी देश संयुक्त  अरब अमीरात ने तेल टैंकरों पर हुए हमलों के लिए किसी पर आरोप नहीं लगाए हैं।

लेकिन अमरीकी सरकार के दो सूत्रें ने बताया था कि अमरीकी अधिकारी मानते हैं कि ईरान के उकसावे के बाद ही हूती समूह और इराक स्थित शिया चरमपंथियों ने इन हमलों को अंजाम दिया।

हूती विद्रोहियों की सुप्रीम रिवोल्यूशनरी कमिटी के प्रमुख मोहम्मद अली अल-हूती ने सऊदी की ओर से बुलाए गए अरब शिखर सम्मेलन को खारिज कर दिया है। उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया है, ‘‘वो सिर्फ युद्ध और तबाही का समर्थन करना जानते हैं।’’

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने नार्वे के एक वार्ताकार की रिपोर्ट देखी है जिसमें कहा गया है कि इसकी संभावना है कि संयुक्त  अरब अमीरात के फुजैराह बंदरगाह के पास जहाजों पर हुए हमले के पीछे ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड हों। फुजैराह होर्मुज की खाड़ी के पास ही स्थित है और यहां जहाज ईंधन भरवाते हैं।

सऊदी प्रिंस की अमरीका से बात

ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरिफ ने किसी भी तरह के युद्ध की आशंकाओं से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि ईरान किसी भी देश के साथ संघर्ष नहीं चाहता साथ ही किसी देश को यह ख्वाब नहीं देखना चहिए कि वह ईरान पर हमला कर सकता है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने भी इन्हीं शब्दों को दोहराया है।

अमरीका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध और कड़े कर दिए हैं ताकि ईरान का तेल निर्यात पूरी तरह बंद कर दें।

इसके साथ ही अमरीका ने खाड़ी में मौजूद अपनी सैन्य ताकत को भी बढ़ाया है। अमरीका का मानना है कि खाड़ी में मौजूद अमरीकी बलों को ईरान से खतरा बढ़ गया है।

सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस संबंध में अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के साथ फोन पर बात की है। इस बात की जानकारी सऊदी के सूचना मंत्रलय एक ट्वीट के जरिए दी।

सऊदी के विदेश मंत्री अदेल अल-जुबैर ने कहा है, ‘‘हम इलाके में शांति और स्थिरता चाहते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ईरान हम पर हमला करेगा तो हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे।’’

उन्होंने कहा कि अब गेंद ईरान के पाले में है और अब ईरान ही तय करेगा कि वह क्या चाहता है।

उन्होंने ये भी बताया कि समंदर में फंसे ईरान तेल टैंकर के चालक दल के सदस्य अभी भी सऊदी अरब में हैं और उनका ख्याल रखा जा रहा है। इस टैंकर का इंजन खराब हो गया था। चालक दल में 24 ईरानी और दो बांग्लादेशी नागरिक हैं।

क्या युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं अमरीका और ईरान?

सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। कई स्थानीय युद्धों में ये एक-दूसरे के विरोधियों का समर्थन करते हैं।

मध्य-पूर्व में बढ़ रहे तनाव के बीच बहरीन ने ईरान या इराक की तरफ यात्रा कर रहे अपने नागरिकों को वहां ना जाने के लिए कहा था। साथ ही जो लोग इन देशों में रह रहे हैं उनसे वापस लौटने के लिए भी कहा गया है।

इसके अलावा अमरीका की फेडरल एविएशन प्रशासन ने अमरीकी कॉमर्शियल विमानों को खाड़ी और ओमान की खाड़ी के समुद्र के ऊपर से उड़ान भरते वक्त सतर्क रहने की सलाह जारी की है।

वहीं अमरीका की बड़ी तेल कंपनी एक्सनमोबिल ने मध्य-पूर्व में बढ़ रहे तनाव का हवाला देते हुए ईराक से अपने कुछ कर्मचारियों को वापस बुलाया है।

कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि ये कदम अस्थायी है और एहतियात के तौर पर उठाया गया है। कंपनी ने ये भी कहा है कि उसके पास खतरे के कोई संकेत नहीं हैं। 



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