क्या कानून के डर से रुकेगी डेटा चोरी

2018-08-01 0

यह अपडेट आपके निजी डेटा के उपयोग से जुड़े होते हैं। लेकिन क्या हम फिर से अपनी निजी डेटा पर नियंत्रण हासिल करने वाले हैं? आज की दुनिया में डेटा एक महत्वपूण्र ‘सामान’ बन चुका है, जिसकी खरीद और बिक्री की जा रही है। इस डेटा के जरिए उद्योग घराने ग्राहकों की बेहद ही निजी जरूरतों को समझकर अपना व्यापार आगे बढ़ा पा रहे हैं। कहा जा सकता है कि ये तरीका डेटा आधरित आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है या फिर आम इंसान की निजी जरूरतों को समझकर उनकी बेहतर मदद कर रहा है। लेकिन, क्या डेटा साइंस की अच्छी दिखने वाली यह तस्वीर अधूरी है? 

        हाल ही में सामने आए फेसबुक - कैम्ब्रिज एनालिटिका प्रकरण के बाद इस बात को लेकर चिंता जताई जाने लगी कि सोशल मीडिया यूजर्स का डेटा उनकी इजाजत के लिए बिना बेचा जा रहा है। इस मामले में सामने आने की वजह स यूरोप में अगले महीने यानी मई में सख्त गोपनीय कानून पेश किया जाएगा, जिसके तहत ग्राहकों के निजी डेटा सम्बंधीं नियंत्रण और नियमों को तोड़ने वाली कंपनियों पर बड़ा जुर्माना लगाया जाएगा। 

आपकी निजता कितनी जरूरी है?

गूगल क्रोम से लेकर फोन तक, डेबिट-क्रेडिट कार्ड से लेकर सीसीटीवी कैमरे तक, हम जितने भी डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हैं वो हमसे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करते हैं। इस जानकरी का उपयोग विज्ञापनकर्ता, इंश्योरेंस कंपनी, पुलिस और दूसरे लोग हमें, हमारे पसंदीदा चीजें और हमारे व्यवहार को समझने के लिए  करते हैं। यह किसी सामान्य कॉमोडिटी से बिल्कुल अलग है, जिसे खरीदा या बेचा जा सकता है। 

मान लीजिए कि आप घर बेच रहे हैं, तो खरीदार आपके पास आता है और आपके घर का किचन और कारपेट देखकर यह पता लगा सकता है कि आप कैसा जीवन जीते हैं, लेकिन आपके आलमारी में रखे एलबम की निजी तस्वीरों को वो नहीं देख सकता। आप घर बेचने के बाद अपने एलबम को अपने साथ ले जा सकते हैं। लेकिन ऑल इन वन दुनिया में ऐसा नहीं है। जैसे ही आप किस ऑनलाइन सेवा पर साइन-अप करते हैं, वो वेबसाइट या ऐप आपकी निजी जानकारी इकट्ठा करने लगता है।  साइन-अप करते वक्त जो नियम और शर्तंे आपके सामने पेश की जाती है, उन्हें शायद ही आप कभी उसे पूरा पढ़ते होंगे। आप और हम उसे बिना पढ़े ही स्वीकार कर लेते हैं। यह बिल्कुल वैसा ही जैसा आप अपने घर के खरीदार को अपनी निजी आदतों जैसे, आप किससे बात करते हैं, किससे साथ उठते-बैठते हैं आदि के बारे में बता दें। बहुत से यूजर्स यह नहीं जानते होंगे कि उनका डेटा कहां-कहां शेयर किया जाता है और उसका इस्तेमाल कौन-कौन करता है

डेटा सुरक्षा के लिए कानून

यूरोप में 25 मई से ‘द जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगूलेशन (जीडीपीआर) नाम का नया कानून लागू हो जाएगा, इस कानून का मकसद आम लोगों को यह जानकारी देना है कि आपका डेटा कौन ले रहा है और उसका इस्तेमाल कौन कर रहा है। कानून के तहत लोगों का निजी डेटा केव पले से बताए गए उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा। कंपनियों को यह बताना होगा कि वो डेटा की जानकारी कैसे और क्यों ले रहे हैं। यही कारण है कि हमें फेसबुक और ट्विटर जैसी साइटों में ‘‘महत्वपूर्ण अपडेट’ की सूचना मिल रही है। कंपनियों को यूजर्स का डेटा सुरक्षित करने की जरूरत है और अगर उनका डेटा लीक होता है तो उन्हें बताना होगा कि यह उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है। यूरोप के इस नए कानून का असर दुनिया भर के देशों में महसूस किया जा सकेगा। कंपनियों को इसे लागू करना होगा, अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।


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