कंपनियों द्वारा ‘ स्मार्ट खेती’ को प्रोत्साहन

2019-07-01 0


  • भारतीय किसानों के अनुरूप मॉडल अपना रही हैं कंपनियां
  • स्मार्ट खेती में होता है प्रौद्योगिकी का व्यापक इस्तेमाल
  • उपकरणों की ऊंची कीमत सबसे बड़ी बाधा
  • छोटे और सीमांत किसानों को किराये पर मिलेंगे उपकरण
  • सब्सिडी कार्यक्रम में खेती के उपकरण शामिल कर रहे हैं कुछ राज्य

ट्रिंबल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजिज इंडिया के प्रबंध निदेशक राज अय्यर ने बताया ‘हम किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक उपकरण आदि को किराये पर देने का मॉडल अपना रहे हैं और मूल उपकरण बनाने वाले स्थानीय निर्माताओं को भी अपने साथ ले रहे हैं। उनकी मदद से हम उत्पादों को आगे बढ़ा सकते हैं।’

देश में स्मार्ट खेती का चलन बढ़ रहा है और अब छोटे तथा सीमांत किसानों को भी इसका फायदा उठाने का मौका मिल रहा है। स्मार्ट खेती के क्षेत्र की दिग्गज अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां छोटे और सीमांत किसानों की जरूरत के हिसाब से नए उपाय पेश कर और विशेषज्ञ मॉडल अपनाकर उनकी मदद कर रही हैं।

इस तरह की खेती में कम संसाधनों के साथ ज्यादा पैदावार हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पीजीएस, जीएनएसएस और ड्रोन के इस्तेमाल से इस बात का सटीक अनुमान लगाया जाता है कि अधिकतम पैदावार के लिए कौन-सी फसल और मिट्टी चाहिए तथा फसल की बर्बादी को कम कैसे किया जाए। साथ ही फसल कटने के बाद ही गतिविधियों में भी इसका उपयोग होता है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि उत्पादों का भंडारण वहां हो, जहां मौसम और उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए ऊर्जा का सर्वोत्तम इस्तेमाल होता है। 

हालांकि स्मार्ट खेती पिछले कुछ समय से ही हो रही है, लेकिन अभी तक कॉर्पोरेट फॉर्म और बड़ी जोत वाले किसानों में इसका इस्तेमाल करने की कुव्वत थी। इसकी सीधी वजह यह थी कि इसके लिए जरूरी उपकरण खरीदने और लगाने में बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है तथा अधिकतर उपकरणों का आयात किया जाता है। यही कारण है कि देश में इसका प्रसार नहीं हो पाया।

ट्रिंबल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजिज इंडिया के प्रबंध निदेशक राज अय्यर ने बताया ‘हम किसानों को उनकीॅ जरूरत के मुताबिक उपकरण आदि को किराये पर देने का मॉडल अपना रहे हैं और मूल उपकरण बनाने वाले स्थानीय निर्माताओं को भी अपने साथ ले रहे हैं। उनकी मदद से हम उत्पादों को आगे बढ़ा सकते हैं।’

ट्रिंबल भारत में लॉजिस्टिक्स, नौवहन और परिवहन में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सॉल्यूशन मुहैया कराती है और अब उसकी नजर स्मार्ट खेती में अपने कारोबार का विस्तार करने पर है। अय्यर ने कहा, ‘भारत में अधिकतर छोटे किसान हैं और छोटी जोत पर निर्भर हैं। उनकी हालत सुधरी तो समार्ट खेती का प्रचलन जोर पकड़ने लगेगा और यह अरबों डॉलर का उद्योग बना जाएगा।’

कई राज्य सरकारें अपने सब्सिडी कार्यक्रम में स्मार्ट खेती के उपकरण शामिल करने पर विचार कर रही हैं। रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री कृष्णन कहते हैं कि उनकी कंपनी भारतीय किसानों के लिए स्थानीय स्तर पर बने विशेष सॉल्यूशंस पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, ‘भारत में कॉर्पोरेट खेती का चलन बढ़ रहा है जो हमारे उपकरण और सेंसर खरीद सकती हैं। छोटे और सीमांत किसानों के लिए हमारे पास विशेष सदस्यता मॉडल है। हम सहकारिता संघों के साथ भी काम कर रहे हैं जो हमारे उपकरण किराये पर ले सकते हैं।’

अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के अलावा कई देशी स्टार्टअप भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वे उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए रोबोटिक्स, डेटा एनालिटिक्स, आईओटी और ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल कर रही

हैं।  



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