ऋषभ पंत की बल्लेबाजी में गिलक्रिस्ट की बेफि़क्री, द्रविड़ का अनुशासन और विराट जैसी आक्रामकता

2019-07-01 0

ऋषभ पंत के करियर की कहानी ही ऐसी है। अपनी मेहनत, प्रतिभा और जुनून के बूते वो छोटे-छोटे से मौकों को भी बड़ा बनाने में कामयाब हो जाते हैं। ऋषभ पंत की आक्रामक बल्लेबाजी टीम इंडिया के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है।

गर किसी एक खिलाड़ी के वर्ल्ड कप 2019 की टीम में नहीं चुने जाने पर सबसे ज्यादा बवाल हुआ तो वो खिलाड़ी निःसंदेह दिल्ली के ऋषभ पंत थे। बहरहाल, किस्मत की मेहरबानी ने आखिरकार उन्हें वहां पहुंचा ही दिया जिसके वो जायज हकदार थे। दरअसल, ऋषभ पंत के करियर की कहानी ही ऐसी है। अपनी मेहनत, प्रतिभा और जुनून के बूते वो छोटे-छोटे से मौकों को भी बड़ा बनाने में कामयाब हो जाते हैं।

करीब तीन साल पहले अंडर-19 टीम से सीधे दिल्ली की फर्स्ट क्लास टीम में आने पर ऋषभ पंत का प्रदर्शन कुछ ऐसा रहा। आठ मैच, 12 पारियां और 972 रन। 81 का औसत और 107 से भी ज्यादा का स्ट्राइक रेट और वो भी 4 शतक और 2 अर्धशतक के साथ। 10 दिसंबर को सौराष्ट्र के खिलाफ 4 रन की हार के चलते दिल्ली को क्वार्टरफाइनल की रेस से बाहर हो गया और ऋषभ पंत का सफर भी वहीं खत्म हो गया और साथ ही पंत के सामने वो मौका भी खत्म हो गया जहां पर वो उस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बनने के बारे में सोच सकते थे।

वैसे कहने वाले शायद ये कह सकते थे कि उस 2016-17 सीजन में लीग मैचों के दौर खत्म होने पर भी गुजरात के प्रियंक किरीत पांचाल ने 1000 से ज्यादा रन बना लिए थे तो हिमाचल प्रदेश के प्रशांत चोपड़ा ने भी ऋषभ पंत से 6 रन ज्यादा बनाये। लेकिन आप खुद  सोचिये कि क्या उन दोनों खिलाड़ियों के बारे में अब तक भारत में चर्चा तो दूर की बात सगुबुगाहट तक भी हुई जैसी कि पंत की होती आ रही है और इसकी वजह थी उनका छक्के लगाने की कला में महारथ हासिल करना। पंत ने अकेले उस सीजन में 49 छक्के मार डाले जबकि लीग दौर के खत्म होने पर टॉप 6 बल्लेबाजों ने मिलकर 50 छक्के मारे थे। टीम इंडिया के पूर्व ओपनर और ऋषभ पंत के क्लब सोनेट से खेल चुके आकाश चोपड़ा ने उसी वक्त  ऐलान कर दिया था कि ऋषभ पंत में वीरेंद्र सहवाग और विराट कोहली की आक्रामक क्रिकेट की दिल्ली की विरासत को आगे ले जाने का पूरा दमखम है।

कोच तारक सिन्हा--- सहवाग और पंत

सोनेट क्लब के कोच तारक सिन्हा ने एक बार बताया था कि कुछ साल पहले की बात है जब सहवाग मेरे क्लब में आये और उन्होंने मुझे एक बात कही। सर, आपने यूं तो कई खिलाड़ी इंडिया को दिये हैं लेकिन मार-धाड़ वाला कोई बल्लेबाज आपके क्लब से नहीं आया है। कौन जाने हो सकता है कि सहवाग की ये बात अनजाने में ही पंत ने अब सुन ली हो। शायद इसीलिए पंत मार-धाड़ वाले खिलाड़ी के तौर पर मशहूर हो गए हैं।

झारखंड के खिलाफ अपने पहले रणजी सीजन में जब ऋषभ पंत ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट के तेज शतकों में से एक वाली पारी खेली तो उसी दौरान इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज के कमेंट्री बॉक्स में सहवाग सुनील गावस्कर को पंत की खूबियां गिना रहे थे। आलम ये रहा कि मोहाली टेस्ट से पहले जब रिधिमान साहा अनफिट हुए तो चयनकर्ताओं ने पंत के भी नाम पर गौर किया। ये अलग बात है कि उन्होंने तरजीह अनुभवी पार्थिव पटेल को दी। लेकिन, अगर आप ये सोचिए कि जो लड़का 2016 के शुरुआत में बांग्लादेश में अंडर 19 टीम का हिस्सा था वो साल के खत्म होने से पहले राष्ट्रीय टीम के लिए अपनी दावेदारी भरने लगा।

आज से करीब 2 दशक पहले जब ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट अपनी बल्लेबाजी से कत्लेआम मचा रहे थे तो पंत 2 साल के भी नहीं थे और जब गिली रिटायर हुए तो पंत किशोरावस्था में भी नहीं पहुंचे थे। ऐसे में ये बड़ी हैरान करने वाली बात है वो आखिर महेंद्र सिंह धोनी के प्रभाव से कैसे बच गए।

गिलक्रिस्ट हैं पंत के आदर्श

ऋषभ पंत ने कुछ समय पहले बताया था कि मुझे एडम गिलक्रिस्ट की बेफिक्री पंसद आई। चूंकि मैं बायें हाथ से बल्लेबाजी करता हूं इसलिए गिली मेरे आदर्श हैं लेकिन धोनी भाई से मैंने ये सीखा है कि आप अपने हिसाब से क्रिकेट खेलते हुए अपना खास मुकाम हासिल कर सकते हैं।

जब तेंदुलकर ने मंगवाया पंत का बल्ला और दिया ये खास संदेश

ऋषभ पंत की हौसला अफजाई करने के लिए शुरुआत से ही महान लोगों की कमी नहीं रही है। वानखेडे स्टेडियम में जिस बल्ले से पंत ने झारखंड के खिलाफ तिहरा शतक लगाया था उस बल्ले को खुद तेंदुलकर ने मंगवाया और उस पर मार्कर से लिखा- ‘बधाई हो और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देते रहो- तेंदुलकर। टीम इंडिया में पहली बार खेलने से पहले तक पंत के लिए ये उनके करियर का सबसे बेशकीमती तोहफा रहा था। अब भी है।

द्रविड़ से सीखा अनुशासन और कोहली से निरंतरता

2017 में आईपीएल के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में क्विंटन डी कॉक, संजू सैमसन और सैम बिलिंग्स जैसे 3 विकेटकीपर बल्लेबाज थे। बावजूद इसके पंत को 10 मैच खेलने का मौका मिला। करीब 25 की औसत से पंत ने लगभग 200 रन बनाये और इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 130 से भी ज्यादा का रहा। इस दौरान सनराइजर्स हैदारबाद के खिलाफ टूर्नामेंट के सबसे धाकड़ गेंदबाज मुस्ताफिजुर रहमान के खिलाफ पंत ने 13 गेंद पर 26 रन बनाये जिससे जानकार दंग हुए। आशीष नेहरा ने अपने कोच तारक सिन्हा को इसके बाद कहा कि सर अब आपको चिंता की जरुरत नहीं। ये लड़का इंडिया खेलेगा। टेस्ट क्रिकेट में पंत साबित कर चुके हैं कि उनमें छक्के मारने की नैसर्गिक प्रतिभा है। ये आत्मविश्वास का परिचायक है और कोई भी कोच आपको ये कला सिखा नहीं सकता है।

पंत का मानना है कि उन्होंने अंडर-19 के कोच राहुल द्रविड़ से संयम और अनुशासन सीखा तो कोहली से निरंतरता। कोहली ने अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद 2011 में ठीक 3 साल बाद वन-डे की वर्ल्ड चैम्पियन टीम का हिस्सा हो गए थे। पंत 2016 में अंडर 19 टीम के साथ फाइनल तो नहीं जीत पाये लेकिन इस बार मौका है कि वो विराट कोहली के साथ लॉर्ड्स की बालकनी में वन-डे वर्ल्ड कप जीत का जश्न मना सकें। ये मौका उन्हें मेहनत और किस्मत दोनों ने मिलकर दिलाया है। 



मासिक-पत्रिका

अन्य ख़बरें

न्यूज़ लेटर प्राप्त करें