भगवान के दोस्त! कमल हंसपाल, मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया

2019-07-01 0

गर्मी के दिनोें में अक्सर एक सात-आठ साल के लड़के को नंगे पैर जून की तपती धूप में चलते देखती। उसे देखकर मेरा हृदय द्रवित हो उठता था। एक दिन मैंने पुरानी चप्पल का जोड़ा घर के बाहर ये सोचकर रख दिया कि शायद वह पहन लेगा, पर ऐसा नहीं हुआ।

अगले दिन अपनी ही धुन में वह लड़का मेरे घर के सामने से गुजर रहा था। मैंने उसे बुलाया और चप्पल का जोड़ा उसे थमा दिया। वह मेरी तरफ देखकर फिर चप्पलों को देखने लगा और धीरे से पूछा- ‘‘क्या आप भगवान हैं? मैंने उसी समय अपने दोनों कानों को माफी की मुद्रा में हाथ लगाया और बोली- ‘‘नहीं-नहीं ये क्या कह रहे हो। मैं तो भगवान के चरणों की धूल के बराबर भी नहीं हूं।’’

लड़के ने धीमी मुस्कान के साथ फिर पूछा ‘‘क्या आप भगवान के दोस्त हो? उसके ये शब्द मुझे बिल्कुल सही लगे। उसके प्रश्न के उत्तर जैसे उसने स्वयं ही दे दिया हो। हाँ-हाँ कहकर मैंने राहत की सांस ली।

उस बालक ने अपने पैर चप्पल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ाये और उसे देखता हुआ चल दिया आगे की ओर।

मुझे उसकी राह, उसका रास्ता, उसकी मंजिल का तो पता नहीं था। लेकिन जाते-जाते वो मेरी राह मुझे बता गया। मुझे मेरे रास्ते का अनुभव व अंदाजा होने लग गया था। रोजमर्रा के कामों में मैं लगभग भूल-सी गई थी कि इंसान भगवान तो नहीं बन सकता मगर भगवान का दोस्त बनना कुछ मुश्किल भी नहीं है। भगवान का दोस्त बनने की काबिलियत अपने वजूद में शामिल करना नामुमकिन नहीं, असंभव नहीं, बस थोड़ा-सा मुश्किल है।

इसके लिए करना क्या होगा, जी इसके लिए एक लड़ाई लड़नी होगी, जी हां लड़ाई।

पाठकगणों का उत्सुक होना जायज है इसका उत्तर जानने के लिए कि लड़ाई किसके साथ?

लड़ाई लड़नी होगी अपने आपसे, अपने अंतर्मन से। अपने अंतर्मन की शुद्धि के लिए हमें मन से ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, विषय-विकार निकालकर मन को, अपने अंतर्मन को साफ करना होगा।

दया-दान की भावना का निर्माण करना होगा। ‘मुझे ये चाहिए’ की जगह ‘मुझे ये देना ही है’ की भावना पैदा करनी होगी। सोने से पहले ये जरूर सोचें कि कुछ बुरा तो नहीं हो गया मुझसे, किसी का दिल तो नहीं दुखा दिया मैंने।

जीवन बहुत सुन्दर है इसे और सुन्दर बनाओ!

मन ऐसा रखो कि किसी को बुरा न लगे,

दिल ऐसा रखो कि किसी को दुःख न पहुंचे,

स्पर्श ऐसा रखो कि किसी को दर्द न हो,

रिश्ता ऐसा रखो कि जिसका अंत न हो।।

जी हां, पाठकगणों! भगवान और इंसान का रिश्ता बहुत प्यारा, अटूट व करीबी है जिसका अहसास अगर आपको होने लगे तो समझिए कि आप भगवान के दोस्त बनने की काबिलियत रखते हैं।  



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