न्याय पाने का अधिकार सबका है - राकेश चौधारी

2019-08-01 0

सामाजिक कार्यकर्त्ता व प्रसिद्ध एडवोकेट तथा पूर्व उप-प्रधान बार एसोसिएशन गुरुग्राम के अध्यक्ष श्री राकेश चौधरी ने देश में न्यायपालिका से सम्बंधित व हर व्यक्ति को न्याय पाने से सम्बंधित कुछ कानूनी बातोें को लेकर पी-एल- कटारिया से बातचीत कीः

सवालः संविधान के तहत हर व्यक्ति को न्याय मिलना चाहिए लेकिन कई बार न्याय नहीं मिल पाता?

जवाबः हमारे देश में कानून को मजबूत करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने की सख्त जरूरत है। ताकि आम आदमी तक न्याय पहुंच सके। जैसे आज हम देखते हैं कि लोगों का पुलिस प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है क्योंकि किसी भी शिकायत पर पुलिस का कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता, कई शिकायत तो दर्ज नहीं होती कई पर पुलिस दबाव में आकर कार्यवाही नहीं करती, कई गंभीर मामले मेें इसकी धारा लगाते कभी जांच करते, कभी नहीं। आम आदमी रोजी-रोटी के चक्कर में थाने के चक्कर नहीं लगा पाता जिससे पुलिस अपने मनमाने तरीके से काम करती है। सबसे दुःखदायी बात यह है कि न्यायपालिका जो कानून की पालना करती है वो सरकार व प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव में आकर काम करती है। जिससे समाज में आने वाले समय में कानून व्यवस्था नहीं रह पायेगी सरकार को न्यायपालिका के काम में दखलन्दाजी नहीं करनी चाहिए। संविधान के अन्दर न्यायपालिका अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखती है।

सवालः महंगी अदालती कार्यवाही व वकील की फीस एक गरीब आदमी नहीं दे सकता तो उसको न्याय कैसे मिले?

जवाबः सरकार द्वारा जो इंसान वकील की फीस नहीं भर पाता उसको निःशुल्क एक वकील दिया जाता है। जिसकी फीस सरकार वहन करती है। इसको लेकर सरकार की तरफ से जिला कानूनी सेवा केन्द्र खुले हुए हैं। जिसका मुख्य जिला सत्र न्यायाधीश होता है व प्रदेश स्तर पर राज्य कानूनी सेवा केन्द्र है जो हर व्यक्ति जिसके पास पैसे नहीं हैं उसको मुफ्रत कानूनी मदद करता है। कई बार लोगों में जागरूकता के अभाव में पता नहीं चल पाता।

सवालः न्यायालय मेें मुकद्दमे कई-कई साल चलते रहते हैं। इससे न्याय मांगने वाले निराश व हताश हो जाते हैं।

जवाबः ये गंभीर विषय है लेकिन आज के समय में न्यायपालिका में केसों का निपटारा बड़ी तेजी से हो रहा है। इस पर न्यायपालिका ने कई मीडिएशन सेन्टर बनाए हैं जो दोनों पक्षों को बुलाकर झगड़े को निपटारा करते हैं व समय-समय पर लोक अदालतें लगाने का भी प्रावधान है। देश में जजों की भारी कमी है। कई लाख केस पेंडिंग हैं जिससे मुकदमों का निपटारा जल्दी नहीं हो पाता। फिर भी माननीय उच्चतम न्यायालय के प्रयासों से केसों का निपटारा जल्द-से-जल्द हो रहा है।

सवालः कई वर्षों से न्यायालय से कुछ घरों के लोग जज बनते आ रहे हैं। ऐसा क्यों है?

जवाबः हमारे देश में उच्च न्यायालय में भर्ती को कोलेजियम सिस्टम के तहत हो रही है जो बहुत गलत तथा संविधान के खिलाफ है। मेरा मानना है कि उच्च न्यायालय की भर्ती यूपीएससी संस्था जैसी संस्था के द्वारा होनी चाहिए। ताकि हर समाज के व्यक्ति को जज बनने का मौका मिले।

सवालः सर्वोच्च न्यायाल को कानून न्यायिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

जवाबः देश के हर व्यक्ति के पास कानूनी जानकरियां हैं और न्यायालय को मुकदमों में निपटारा करने के लिए एक समय सीमा तय करनी चाहिए। नये जजों की संख्या बढ़ानी चाहिए व कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस प्रशासन की जवाबदेही तय करनी चाहिए। ताकि देश के हर व्यक्ति को न्याय मिल सके। पुलिस प्रशासन के अन्दर फैले भ्रष्टाचार को दूर करना चाहिए।

न्यायालय द्वारा समय पर पुलिस विभाग के अधिकारियों पर छापा पड़ना चाहिए। उनकी सम्पत्ति की जांच हो उनके मोबाइल नंबर की रिका²डग हो तथा पुलिस अधिकारी किन-किन नेताओं के सम्पर्क में ज्यादा रहते हैं उसका क्या कारण है। हर पहलू की जांच नियमित होनी चाहिए। ताकि अधिकारियों में भी कानून का डर हो।



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