हींग की खेती से किसान हो सकते हैं मालामाल

2019-09-01 0


भारत में पहली बार हींग की खेती में सफलता दिखाई दे रही है हालांकि अभी तक भारत में हींग की खेती संभव नहीं हो सकी थी या फिर कहें की यहां एक ग्राम भी हींग का उत्पादन नहीं हो सका। हमारे देश में हींग की खपत लगभग 40 प्रतिशत है। सुनने में अजीब लगता है की इतनी ज्यादा हींग की खपत वाले देश में इसकी खेती नहीं होती और इसे दूसरे देश से आयात करना पड़ता है।

हींग का भाव 35000 रुपए प्रति किलो ग्राम है। हींग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लम्बाई 1 से 1-5 मीटर तक होती है। जिन देशों में इसकी खेती प्रमुख तौर पर होती हैं वो है ईरान, अफगानिस्तान, ब्लूचिस्तान और तुर्कमेनिस्तान। 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान हींग की खेती के लिए उपयुक्त होता है।

भारत में पहाड़ी क्षेत्रें में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है क्योंकि इन क्षेत्रें में ही इतना तापमान रहता है। सरल शब्दों में कहें तो हींग की खेती के लिए न ज्यादा ठण्ड और न ही ज्यादा गर्मी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए रेत, मिठ्ठी के ठेले व अधिक चिकनी जमीन उपयुत्तफ़ मानी जाती है।

जहां हींग की खेती की जा रही है सूरज की धूप सीधे उस जगह पड़नी चाहिए। इसे वहां नहीं उगाया जा सकता है जहां छाया पड़ती हो। पौधों के बीच की दूरी 5 फीट होनी चाहिए। सबसे पहले ग्रीन हाउस हींग के बीज को 2-2 फीट की दूरी पर बोया जाता है। पौधे निकलने के बाद इसे फिर 5-5 फीट की दूरी पर लगा दिया जाता है।

हाथ लगाकर जमीन की नमी को देख कर ही इसमें पानी का छिड़काव किया जा सकता है, ज्यादा पानी का छिड़काव पौधे को नुकसान पहुंचा सकता है। खास बात यह है कि हींग पौधे को पेड़ बनने के लिए 5 वर्ष का समय लगता है। इसकी जड़ों व सीधे तनों से गोंद निकाला जाता है।

भारत में हींग की खेती

हींग की खेती की भारत में शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से हुई है। ये इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ- विक्रम शर्मा और हिमाचल सरकार के वजह से संभव हो पाया है। डॉ- शर्मा ने इसके बीज को ईरान और तुर्की से मंगाकर यहां इसका बीज तैयार किया है।

इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में रह रहे किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि वहां के किसान आसानी से हींग की खेती कर सकते हैं। भारत में अभी तक हींग की खेती संभव नहीं हो सकी थी या फिर यूं कहें कि यहां एक ग्राम भी हींग का उत्पादन नहीं हो सका था। 



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