दीवाली एक सर्व सामाजिक त्यौहार

2019-10-01 0

दीवाली का नाम सुनते ही हमारे मन में मिठाई, लक्ष्मी पूजा, नयी चीजों और आतिशबाजी की छवि आ जाती है, यह वह चीजे है, जो दीवाली के विषय में सबसे महत्वपूर्ण है। दीवाली हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है देखा जाये तो यह त्यौहार सामाजिक एकता को बढ़ाने का कार्य करता है।

दीवाली खुशियों और सुख समृद्धि का त्यौहार

दीवाली के त्यौहार का अपना एक अलग ही महत्व है, यही कारण है कि यह हमें अन्य त्यौहारों के अपेक्षा कापफी ज्यादा प्रिय है। हिंदू पंचांग के अनुसार दीवाली का त्यौहार कार्तिक मास में आता है जो कि ग्रैगेरियन कैलेंडर के अनुसार अत्तफूबर या नवंबर का महीना होता है। हिंदू धर्म में दीवाली के त्यौहार को सुख-समृद्धि और खुशियों का त्यौहार माना जाता है।

यही कारण है कि दीवाली के कई हफ्रतों पहले ही लोग अपने घरों और कार्यालयों की साप-सफाई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर सापफ-सुध्रे होते हैं उन घरों में दीवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी  करती हैं।

आइये इस बार दीवाली को थोड़े अलग तरीके से मनाये

वैसे तो दीवाली का त्यौहार मनाने का तरीका और पूजन विध्ी हर जगह एक समान ही होती है पिफर भी इसके अलावा ऐसे कार्य है जिनके द्वारा दीवाली के इस विशेष त्यौहार को हम ना सिपर्फ अपने लिए मंगलकारी बना सकते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी इस दिन को खास बना सकते हैं और दीवाली के वास्तविक अर्थ को सच्चे रुप से सार्थक कर सकते है।

1. खुदरा और छोटे विक्रेताओं से समान खरीदकर

आज कल लोगों में ब्रांडेड और प्रतिष्ठित जगहों से वस्तुओं खरीदने का चलन देखने को मिलता है कुछ चीजों में इसका पालन करने में कोई बुराई नहीं है, पर हर चीज में इसे अपनाना कुछ गरीब और मेहनती लोगों के आजीविका को बर्बाद करने के समान होगा क्योंकि हमारे तरह इन्हें भी वर्ष भर इस त्यौहार का इंतजार होता है। इसलिए अब अगली बार आप जब भी दीवाली की खरीददारी करने जाये तो इस बात को ध्यान रखे।

2. इलेक्ट्रिक झालरों की जगह दीपों का अध्कि उपयोग करके

आज के समय में हमें दीवाली पर इलेक्ट्रानिक झालरों के जगह दीपों का अध्कि से अध्कि उपयोग करने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि हमें इलेक्ट्रानिक वस्तुओं का उपयोग पूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए परन्तु हमें पारंपरिक वस्तुओं से इनका तालमेल बैठाकर सही मात्राा में उपयोग करना चाहिए। यह ना सिपर्फ हमारे देश के छोटे व्यापारियों और कुम्हारों को आर्थिक रुप से सुदृढ़ बनाकर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का कार्य करता है बल्कि दीवाली के पारंपरिक रुप को भी बनाये रखता है।

3. गरीबों में उपहार और आवश्यक वस्तुएं बांटकर

हममें से कई लोग दीवाली के त्यौहार की साज-सज्जा, पटाखों और उत्सव मनाने में कापफी अध्कि मात्राा में ध्न व्यय करते हैं। अगर हम चाहे तो इन चीजों में कुछ कटौती करके या अपने पास से कुछ अध्कि खर्च निकालकर कुछ गरीबों और जरूरतमंद लोगों को कंबल, मिठाइयां और उपहार जैसी चीजें बांटकर उनके चेहरों पर खुशियां ला सकते हैं और उनके साथ-साथ अपने लिए भी इस त्यौहार को और भी ज्यादा विशेष बनाते हुए, दीवाली के त्यौहार का वास्तविक सुख प्राप्त कर सकते हैं।

4. हरित दीवाली मनाकर

यह तो हम सब ही जानते हैं कि दीवाली पर पटाखों और भारी आतिशबाजी के कारण कापफी ज्यादा मात्राा में प्रदूषण उत्पन्न होता है। कई बार लोग दीवाली के कई हफ्रते पहले से ही पटाखे  पफोड़ना शुरु कर देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण की मात्राा बढ़ने लगती है और दीवाली के दिन यह चरम पर पहुंच जाती है। इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में देखने को मिलता है, जहां दीवाली के त्यौहार के बाद प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि कुछ दिन के लिए विद्यालयों और कार्यालयों को बंद करना पड़ जाता है।

हमें इस बात को समझना होगा की दीवाली के त्यौहार का अर्थ दीप और प्रकाश है ना कि पटाखे पफोड़ना है। दीवाली के त्यौहार में पटाखे और आतिशबाजी का कोई भी ऐतिहासिक या पौराणिक वर्णन नहीं है, लोगों द्वारा अपने मनोरंजन के लिए इसे बहुत ही बाद में दीवाली के त्यौहार में जोड़ा गया। तो हम सब को मिलकर पटाखों का उपयोग ना करके हरित दीवाली मनाने का संकल्प लेना चाहिए और यह दीवाली पर हमारे द्वारा प्रकृति को दिया जा सकने वाली सबसे बड़ी भेंट होगी।

5. पटाखों पर प्रतिबंध् के विषय में लोगों में जागरूकता लाकर

प्रदूषण के कारण ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी कुछ राज्यों में पटाखों के उपयोग को लेकर या तो समय सीमा तय कर दी गयी है या पिफर इसे पूर्ण रुप से प्रतिबंध्ति कर दिया गया है पर कई लोग सुप्रीम कोर्ट के इस पफैसले को भी धर्मिक रंग देने लग जाते है और कई तरह के प्रश्न करने लगते हैं कि एक दिन ही पटाखों पर प्रतिबंध् से क्या लाभ होगा, या सारे प्रतिबंध् ध्र्म विशेष के त्यौहारों पर ही क्यों लगाये जाते हैं।

निष्कर्ष

यदि दीवाली पर हम इन बातों को अपना ले तो इस त्यौहार को और भी ज्यादा मनमोहक और समृ( बना सकते है। इस बात को समझना होगा की दीवाली या दीपावली के त्यौहार का अर्थ दीप, प्रेम और सुख-समृद्धि से है ना कि पटाखों और बे पिफजूल के प्रदूषण से, यही कारण है कि दीवाली के त्यौहार पर हमारे द्वारा किये गये यह छोटे-छोटे कार्य बड़े परिवर्तन ला सकते हैं।



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