तेल के मामले में पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है भारत

2019-10-01 0

सऊदी अरामको कंपनी पर हुए हूती विद्रोहियों के ड्रोन हमले के बाद एक बहस ये भी छिड़ गई है कि कौन सा देश कितना तेल का उत्पादन करता है और कौन सा देश तेल के मामले में पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर है। जो देश तेल के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर हैं उनमें भारत भी शामिल है। भारत के पास तेल संग्रह करने का भी कोई बहुत बड़ा स्टोरेज प्लांट नहीं है। इस वजह से यदि किसी तेल उत्पादक देश के प्लांट पर कोई आतंकी हमला होता है तो भारत की चिंताएं बढ़ जाती हैं, उसे दूसरे देशों से महंगे दाम पर वही तेल खरीदना पड़ता है। ऐसे में इसका असर आम लोगों की जेब पर भी पड़ता है।

टॉप 14 में नहीं शामिल

यदि साल 2018 के आंकड़ों को देखें तो टॉप 14 तेल उत्पादक देशों में भारत का कहीं नाम ही नहीं है। इसमें अमेरिका टॉप पर है और कतर सबसे अंत में। साल 2018 में वैश्विक तेल उत्पादन में अमेरिका की भागीदारी 16-2, सऊदी अरब की 13, रुस की 12-1, कनाडा की 5-5, ईरान की 5, इराक की 4-9, यूएई की 4-2, चीन की 4-0, कुवैत की 3-2, ब्राजील की 2-8, मैक्सिको और नाइजीरिया की 2-2 और कजाकिस्तान और कतर की 2 फीसद है।

भारत इराक, सऊदी अरब, ईरान, न्।म्, वेनेजुएला, नाइजीरिया, कुवैत, मैक्सिको से तेल खरीदता है। यदि इनमें से किसी भी देश के किसी तेल प्लांट पर कोई हमला हो जाता है तो भारत की चिंताएं बढ़ जाती हैं। भारत में रिलायंस के अलावा दूसरी कोई कंपनी इतने बड़े पैमाने पर तेल का उत्पादन नहीं करती है मगर ये मात्र भी बहुत कम है। जिस तरह से भारत में तेल की जरुरत है वो बिना दूसरे देशों से आयात किए पूरी नहीं की जा सकती है। इस वजह से देश की चिंताएं बढ़ जाती हैं।

अमेरिका में ेstrategic petroleum reserve नाम से ईंधन रखने की जगह है। अमेरिका में मौजूद यह दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडारण स्थान है। इसकी स्थापना 1970 में हुई थी। वर्ष 1991 में गल्फ वॉर के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था।

सऊदी अरब में सबसे बड़े तेल संयंत्र हैं अबकैक और खुरैस

ड्रोन हमलों का निशाना बनी अबकैक की तेल रिफाइनरी में प्रतिदिन 70 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन होता है। अरामको के अनुसार ये दुनिया का सबसे बड़ा कच्चे तेल का स्टैबिलाइजेशन प्लांट है। वर्ष 2006 में भी इस संयंत्र पर अलकायदा ने आत्मघाती हमला करने का प्रयास किया था, जिसे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया था। ड्रोन हमले का दूसरा शिकार बना खुरैस संयंत्र, गावर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा प्लांट है। इसकी शुरूआत 2009 में हुई थी। इस संयंत्र से भी प्रतिदिन 15 ला बैरल कच्चे तेल का उत्पादन किया जाता है। साथ ही यहां करीब 20 अरब बैरल से ज्यादा तेल रिजर्व में मौजूद है।

कौन हैं ड्रोन अटैक करने वाले हूती विद्रोही

हूती विद्रोही लंबे समय से सऊदी अरब और यमन सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं। पिछले महीने भी हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के शयबाह नैचुरल गैस की साइट पर इसी तरह से ड्रोन अटैक किया था। मई में भी इन्होंने सऊदी की कई तेल कंपनियों को निशाना बनाया था। माना जाता है कि ईरान हूती विद्रोहियों की मदद कर रहा है। हूती विद्रोही, 2015 से यमन सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। सऊदी की सेना भी हर दिन यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमले कर रही है। इसका बदला लेने के लिए हूती भी सऊदी अरब पर मिसाइल दाग रहे और ड्रोन हमले कर रहे हैं।

सऊदी की शान है अरामको

वर्ष 2018 में अरामको की कमाई 111 अरब डॉलर थी। पिछले वर्ष अरामको ने सऊदी अरब सरकार को 160 अरब डॉलर का राजस्व दिया था। अरामको के पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े तेल भंडार वाले क्षेत्र हैं और कंपनी को ये तेल भंडार बहुत कम कीमत पर मिले हैं। इस कंपनी की स्थापना अमरीकी तेल कंपनी ने की थी। अरामको का मतलब है ‘अरबी अमरीकन ऑयल कंपनी’। 1970 के दशक में सऊदी अरब ने इस कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान अरामको को दो ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बनाना चाहते हैं। फिलहाल ये कंपनी एक से डेढ़ ट्रिलियन डॉलर के बीच है।

एशिया सबसे बड़ा खरीदार

अरामको ने पिछले साल प्रतिदिन 70 लाख बैरल क्रूड का निर्यात किया था। इसका तीन-चौथाई हिस्सा एशियाई देशों को सप्लाई किया जाता है। ऐसे में अगर तेल की कीमतें बढ़ीं या तेल संकट गहराया तो भारत समेत अन्य एशियाई देशों पर इसका सबसे पहले असर पड़ेगा। भारत जिन आठ देशों से तेल खरीदता है, उसमें सऊदी अरब दूसरे नंबर है। भारत ने वर्ष 2017-18 के बीच सऊदी अरब से 3-61 करोड़ बैरल और वर्ष 2018-19 में 4-03 करोड़ बैरल तेल का आयात किया था।

इन देशों से तेल खरीदता है भारत

देश          वर्ष 2017-18             वर्ष 2018-19

इराक         4-57 करोड़ टन        4-66 करोड़ टन

सऊदी       3-61 करोड़ टन        4-03 करोड़ टन

ईरान          2-25 करोड़ टन        2-39 करोड़ टन

न्।म्           1-42 करोड़ टन       1-75 करोड़ टन




मासिक-पत्रिका

अन्य ख़बरें

न्यूज़ लेटर प्राप्त करें