आपके हर लक्ष्य के लिए अलग फाइनेंशियल प्लान क्यों है जरूरी?

2018-08-01 0

आपके हर लक्ष्य के लिए अलग फाइनेंशियल प्लान क्यों है जरूरी?

ऐसे लोगों को ढूंढ़ना मुश्किल नहीं है, जो काफी बचत और निवेश करने के बाद भी अपने वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं। अक्सर इसकी वजह यह होती है कि वास्तव में वे निवेश नहीं कर रहे थे बल्कि सिर्फ अपना पैसा कभी एक तो कभी दूसरे इंस्ट्रूमेंट में लगा रहे थे। यह आपको बहुत सामान्य बात लगेगी, लेकिन निवेश का सही मतलब सिर्फ पैसा कहीं रखने से नहीं है बल्कि आखिरकार इस फंड के इस्तेमाल से है। 

समस्या यह है कि जब तक किसी खर्च को ध्यान में रख निवेश की योजना नहीं बनाई जाती है तब तक व्यवस्थित रूप से निवेश करना मुश्किल है। इस काम को रोकने के लिए आपका ज्योतिष होना जरूरी नहीं है। आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने जीवन के स्पष्ट वित्तीय लक्ष्य का सही अंदाजा लगाना है। 

वित्तीय लक्ष्य को समझें

इस तरह आपके निवेश के लिए वित्तीय लक्ष्य का सही मतलब क्या है? इसका मतलब बहुत ज्यादा पैसा बनाने से नहीं है, इसमें उन कामों के लिए सही और सटीक वित्तीय योजना शामिल है, जिसे आप भविष्य में करना चाहते हैं। जब हम लक्ष्य तय कर लेते हैं तभी हम उस निवेश से जुड़े सवालों का जवाब दे सकते हैं, जो हमारे लिए जरूरी हैं। यहां कुछ उदाहरण पेश हैंः आपको छह साल बाद अपनी बेटी की उच्च शिक्षा के लिए पैसे की जरूरत होगी। आज से करीब 10 बाद आप घर खरीदना चाहेंगे। आप इमरजेंसी के लिए 5 लाख रुपए फंड चाहते हैं। आप 18 साल में रिटायर हो जायेंगे और उसके बाद आप आज जैसी लाइफ स्टाइल जारी रखना चाहेंगे। अपनी जरूरतों को ठीक समझे बगैर निवेश के सही विकल्प का चुनाव करना मुश्किल है। इस तरह का बयान देना आसान है-‘‘पांच साल बाद मुझे एक करोड़ रुपये की जरूरत होगी।’’ लेकिन, मान लिया जाए इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए आप इसके लिए जरूरी निवेश नहीं कर सकते। फिर क्या होगा, सही लक्ष्य नहीं होने पर आप पैर पीछे खींच लेंगे। क्या 90 लाख रुपए पर्याप्त होंगे? पांच साल के बजाय समय सात साल दिया जाये तो? अभी के बजाय अगले साल निवेश शुरू करें तो? अगर यह सब भूलकर नया आईफोन खरीद लिया जाये तो? लेकिन लक्ष्य साफ होने पर विकल्प साफ दिखने लगता है। अगर आप किसी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते तो यह साफ हो जाता है कि आगे आपको क्या करना है। जब लक्ष्य स्पष्ट होता है तो यह भी पता चल जाता है कि आपको कितना रिटर्न की जरूरत है और अलग-अलग लक्ष्य के लिए कितना होना चाहिए। 

इससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण यह है कि यह भी पूरी तरह साफ हो जाता है कि इनमें से हर लक्ष्य के लिए खास निवेश होना चाहिए, जिन्हें इन खास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चुना गया हो, दूसरे शब्दों में हमारे पास अलग-अलग लक्ष्य के लिए अलग-अलग पोर्टफोलियो होना चाहिए। 

क्या है पोर्टफोलियो का मतलब?

आमतौर पर ‘पोर्टफोलियो’ शब्द का इस्तेमाल ऐसे सभी निवेश और एसेट को व्यक्त करने के लिए होता है, जो किसी व्यक्ति और परिवार के पास होता है। यही समस्या है। अलग लक्ष्य के लिए अलग पोर्टफोलियो का मतलब इससे अलग है। पोर्टफोलियो का मतलब ऐसे सभी निवेश से है, जो किसी खास लक्ष्य को पूरा करने के लिए किए जाते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके लिए कई पोर्टफोलियो को संभालना मुश्किल होगा तो कई ऐसे पोर्टफोलियो मैनेजिंग टूल्स ऑनलाइन उपलब्ध् हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।

अलग पोर्टफोलियो रखने का तरीका ठीक उसी तरह से है, जिस तरह से कई गृहणियां अक्सर करती हैं। मेरी एक रिश्तेदार अपने परिवार का वित्तीय प्रबंधन इसी तरह से करती थीं उनके पास हाथ से सिली हुई कई थैलियां थीं। हर थैली अलग-अलग जरूरत के लिए थी। जब उनके पति घर सैलरी लाते थे, तो वे (पत्नी) अलग-अलग खर्च के लिए पैसा अलग-अलग पोटली में रख देती थीं। यह सिस्टम काफी कारगर था। यही चीज मैं आपसे अपनी बचत और निवेश के लिए करने के लिए कह रहा हूं। अपने हर लक्ष्य के लिए अलग-अलग वित्तीय प्लान रखें। थैलियों को व्यवस्थित करने के लिए सिर्फ तीन चीजों की जरूरत है। पहला है रकम, दूसरा है इसकी जरूरत कब पड़ेगी और तीसरा यह कि क्या लक्ष्य की तारीख या उसकी रकम में बदलाव की कोई गंुजाइश है। समय तुरंत से लेकर 20 साल या रिटायरमेंट फंड के लिए 30 साल तक हो सकता है। 

लक्ष्य के हिसाब से जरूरी है निवेश 

आप चाहें तो समय के पैमाने को तुरंत से लेकर एक साल, एक से पांच साल और पांच साल और उससे अधिक में बांट सकते हैं। हरेक के लिए अलग तरह की रणनीति और मिले-जुले निवेश की जरूरत होगी। निवेश की अवधि जितनी कम होगी, आपको उतना ही कम उतार-चढ़ाव वाले निवेश माध्यमों में पैसा लगाना होगा। आपका रिटर्न कम हो जायेगा। लम्बी अवधि के लिए इसके विपरीत होगा।


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