मंदी के दौरान एक निवेशक असमंजस में---
आर्थिक गतिविधियों का पहिया थम रहा है। अर्थव्यवस्था के ज्यादातर
पैमाने अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। रोजमर्रा के सामानों के अलावा कार और बाइक की
बिक्री घटी है। खपत में गिरावट है। निर्यात थमा हुआ है। निवेश की रफ़्तार सुस्त
है। नौकरी जाने की रिपोर्टें आने लगी हैं। ये देश के आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ने के
साफ संकेत हैं।
भला कौन 2008 की मंदी को भूल सकता है। तब बाजारों
में हाहाकार मचा हुआ था। निवेशकों का नुकसान बढ़ता जा रहा था। हर गुजरते दिन के साथ
हालात बद से बदतर हो रहे थे। निवेशकों की गाढ़ी कमाई लगातार डूब रही थी।
मंदी गहराई तो मुमकिन है कि यही मंजर फिर देखने को मिले। लिहाजा,
पहले
से ही तैयारी कर लेने की खास जरूरत है। यहां हम बता रहे हैं कि निवेशकों को इन
हालात में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
क्या करें निवेशक?
1- धैर्य रखें
मंदी गहराती है तो हर तरफ से खराब खबरें सुनने को मिलती हैं। यह समय
बड़े धैर्य से चीजों को समझने का होता है। निवेशकों को तो खासतौर से इन हालात में
सब्र का परिचय देना चाहिए। यह समझने की जरूरत है कि कोई भी स्थिति हमेशा के लिए
नहीं रहती है। खराब समय गुजरता भी है। पहले भी ऐसा हो चुका है। धैर्य खोएंगे तो
गलत फैसले ही लेंगे। बुरे समय में ही धैर्य की परीक्षा होती है।
2- सिप को जारी र
धैर्य की परीक्षा कैसे होगी? यह ऐसे होगी कि खराब हालातों में मौके
तलाशे जाएं। सच तो यह है कि इस दौरान मौके ही मौके होते हैं। बात सिर्फ नजरिए की
है। कुछ निवेशक जहां बाजार की गिरावट से घबराकर भाग खड़े होते हैं। वहीं, दूसरे
इसे भुनाते हैं। बाजार में गिरावट को भुनाने का सबसे अच्छा तरीका सिप है। यह इस
दौरान निवेशकों को कम कीमतों पर ज्यादा शेयरों को खरीदने का मौका देता है। लिहाजा,
इस
दौरान सिप को जारी रखना महत्वपूर्ण है।
3- स्थिर फंडों को चुनें
बाजार की मौजूदा स्थितियों में निवेशकों के लिए हाइब्रिड फंड सबसे उपयुक्त हैं। ये पोर्टफोलियो में गिरावट को थाम सकते हैं। हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट दोनों में मिला-जुलाकर निवेश करते हैं। इस कारण इनमें अपेक्षाकृत ज्यादा स्थिरता होती है।
4- सोने को पोर्टफोलियो में शामिल करें
सोने को निवेशक सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प मानते हैं। अमूमन जब
दूसरे सभी विकल्प खराब प्रदर्शन करते हैं, तो सोना अच्छा करता है। दरअसल, खराब
माहौल में निवेशक अन्य दूसरे पैसों से पैसा निकाल सोने में लगाने लगते हैं। पिछले
कुछ समय में सोने की कीमतों में आई तेजी का यही बड़ा कारण है। मौजूदा स्थितियों में
सोने के साथ अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने में बुराई नहीं है। जानकार कहते
हैं कि अपने पोर्टफोलियो को 5 से 10 फीसदी सोने में
निवेश किया जा सकता है।
5- इमरजेंसी के लिए पैसे जरूर र
मंदी के दौर में नौकरियों का जाना बड़ी बात नहीं है। इसके लिए तैयार
रहना चाहिए। यहीं इमरजेंसी फंड की उपयोगिता सामने आती है। वैसे तो किसी अनहोनी के
लिए हमेशा ही इस फंड को तैयार रखना चाहिए। लेकिन, मंदी के दौर में
इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। यह फंड खराब स्थितियों में काम आता है।
क्या नहीं करें निवेशक?
1- घबराए नहीं
घबराहट और परेशानी में अक्सर लोग गलत फैसले लेते हैं। मंदी के बादल
छंटते ही बाजार तेजी से बढ़ते हैं। यह पहले भी हुआ है। बाजार चक्र में चलता है।
अच्छा बुरा दौर आता-जाता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
2- गैर जरूरी खर्च बंद करें
मंदी में गैर-जरूरी खर्च को बिल्कुल न कह दें। आए दिन मौज-मस्ती पर
बिना सोचे-समझे खर्च करना आपकी आर्थिक सेहत को बिगाड़ सकता है। इस दौरान पैसे बचाने
पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करना चाहिए।
3- सुरक्षित विकल्पों से पैसा नहीं निकालें
मंदी में पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित विकल्पों में पैसा
निकालना सही नहीं होगा। कारण है कि इनसे पोर्टफोलियो को सहारा मिलता है। ये
पोर्टफोलियो को किसी बड़े नुकसान से बचाते हैं।
4- जरूरत से ज्यादा जोखिम न लें
मंदी में बहुतजोखिम लेने से परहेज करें। जरूरत से ज्यादा जोखिम नुकसान पहुंचा सकता है। लिहाजा, मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में निवेश की
जगह लार्जकैप फंडों को तरजीह देनी चाहिए।
5- एक तरह के एसेट में बहुत पैसा नहीं लगाएं
मंदी में निवेशकों को पोर्टफोलियो को ज्यादा से ज्यादा डायवर्सिफाई
करने पर फोकस करना चाहिए। किसी एक एसेट में बहुत पैसा लगाने से बचना चाहिए।
डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो नुकसान को कम करता है।
6- प्रॉपर्टी में निवेश नहीं करें
मौजूदा स्थितियों में प्रॉपर्टी में निवेश करना सही नहीं है। पिछले एक साल में टॉप भारतीय शहरों में हाउसिंग मार्केट ने अच्छा नहीं किया है। अर्थव्यवस्था में अभी सुस्ती बने रहने के आसार हैं। ऐसे में बिल्डर तमाम तरह के प्रलोभन देते हैं। इसके लालच में न पड़ने में ही भलाई है।