नीति आयोग ने रणनीतिक विनिवेश को लेकर चिन्हित की पीएसयू

2019-11-01 0

देश में विकास कार्य को लेकर जरुरी धनराशि जुटाने और अप्रासंगिक हो चुकी सरकारी कंपनियों को बंद करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए केंद्र सरकार की तरफ से 57 पीएसयू से निकलने की तैयारी में है। जिन पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जाना है जिनकी पहचान कर नीति आयोग ने उनके नाम केंद्र सरकार को सौंप दिए हैं और कैबिनेट इसमें से 26 पीएसयू को बेचने यानि रणनीतिक विनिवेश की मंजूरी भी दी जा चुकी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार खजाना भरने को लेकर पीएसयू के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर सकती है।

दरअसल जिन पीएसयू का रणनीतिक विनिवेश किया जाना है उनकी छह सूची नीति आयोग ने केद्र सरकार को सौंपी है। इस ताजा सूची में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया व कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित कुल 11 पीएसयू शामिल है। इससे पूर्व नीति आयोग की तरफ से पांच सूची केंद्र सरकार को सौंपकर एयर इंडिया सहित कुल 46 पीएसयू को बेचने की सिफारिश कर चुका है जिसमें से 26 पीएसयू के रणनीतिक विनिवेश को हरी झंडी केंद्र सरकार दे चुकी है। हालांकि आर्थिक सुधारों को आगे बढाने की दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र सरकार की तरफ से अब निजीकरण पर जोर देगी। जिसको लेकर हाल के वर्षों में जीएसटी का क्रियान्वयन और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के रुप में केद्र सरकार ने कई अहम सुधार किए हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार अब निजीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए अप्रासंगिक हो चुके पीएसयू की पहचान करने में जुटी है ताकि इन्हें बेचा जा सके। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने विनिवेश के माध्यम से 1,05,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है जिसमें से अब तक सिर्फ 12,357-49 करोड़ रुपए ही जुटाए जा सके हैं। इसमें 475-89 करोड़ रुपए रेल विकास निगम लिमिटेड के आइपीओ और 1881-21 करोड़ रुपए एनिमी प्रॉपर्टी की बिक्री के माध्यम से जुटाए गए है। वहीं 10,000-39 करोड़ रुपए सीपीएसई ईटीएफ के माध्यम से जुटाए गए हैं। जिसको लेकर केद्रीय वित्त मंत्रलय की तरफ से कहा जा रहा है कि रणनीतिक विनिवेश के मोर्चे पर कई बड़ी चुनौतियां हैं। जिसके चलते नीति आयोग की सिफारिश के बावजूद केंद्र सरकार इस मोर्चे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। नीति आयोग ने अब तक जितने पीएसयू को बेचने की सिफारिश की है जिनमें से अभी तक एक भी परवान नहीं चढ़ी है। जिसको लेकर केंद्र सरकार की तरफ से पिछले वित्त वर्ष में विनिवेश के माध्यम से 80,000 करोड़ रुपए जुटा का लक्ष्य रखा है। जिसकी तुलना में 84,972 करोड़ रुपए खजाने में आए थे इसमें 16,000 करोड़ रुपए रणनीतिक विनिवेश के रुपए में आए थे। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में भी केंद्र सरकार विनिवेश का लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रही थी।

हालांकि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश का लक्ष्य हासिल करना इसलिए जरुरी है क्योंकि जीएसटी संग्रह में अपेक्षित वृद्वि नहीं हो पा रही है। कॉरपोरेट टैक्स में की गई बड़ी कटौती से भी केंद्र सरकार के खजाने पर 1-45 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक दबाव पड़ने का अनुमान है। वहीं आयुष्मान भारत और पीएम किसान जैसे कार्यक्रमों पर भारी भरकम खर्च के चलते केंद्र सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। 



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