अयोध्या राम मंदिर का फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच परमेश्वर

2019-12-01 0

अयोध्या भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय का पफैसला आ गया। चीपफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ ने अपना पफैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित भूमि रामलला विराजमान को दी जाएगी। चीपफ जस्टिस ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो तीन महीने में एक ट्रस्ट का गठन करे और मंदिर निर्माण के लिए नियम बनाए। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कोई वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। आईए थोड़ा जान लेते हैं चीपफ जस्टिस सहित सुप्रीम कोर्ट के इन जजों के बारे में...

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई-

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को पूर्वाेत्तर राज्य असम के डिब्रूगढ़ में हुआ था। इनके पिता केशब चंद्र गोगोई एक समय दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्राी भी रहे थे।

रंजन गोगोई ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की डिग्री हासिल करने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी। साल 2010 में रंजन गोगोई पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट आए। अगले साल यानी 2012 में रंजन गोगोई यहीं हाईकोर्ट के चीपफ जस्टिस बना दिए गए। 03 अक्टूबर 2018 को इन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला। इन्होंने चीपफ जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह ली। आगामी 17 नवंबर 2019 को रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।

महत्वपूर्ण पफैसला- रंजन गोगोई अपनी रिटायरमेंट से चंद दिन पहले आज यानी 09 नवंबर को बहुप्रतक्षित और विवादित अयोध्या राम मंदिर मामले में अपना पफैसला सुनाने जा रहे हैं। ये निश्चित ही एतिहासिक दिन है। केवल राम मंदिर ही नहीं बल्कि रंजन गोगोई जाने से पहले कुछ और अहम मामलों में अपना पफैसला सुनाने जा रहे हैं। आईए जानते हैं कौन से हैं वो मामले। सबरीमाला रिव्यूरापफेल मुद्दाआरटीआई के दायरे में चीपफ जस्टिस को लाने जैसे मुद्दों पर पफैसला आने की उम्मीद है।


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न्यायाधीश अरविंद बोबड़े-

अयोध्या मामले में न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा जस्टिस शरद अरबिंद बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ था। इन्होंने एसएपफएस कॉलेज नागपुर से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद शरद अरबिंद बोबड़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू की।

न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय के अगले मुख्य न्यायाधीश होने जा रहे है। बता दें कि शरद अरविंद बोबड़े ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित दिल्ली विश्वविद्यालय तथा महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चांसलर के तौर पर भी अपना योगदान दिया है। गौरतलब है कि इनके पिता अरविंद बोबड़े महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं।

महत्वपूर्ण मामले- जस्टिस बोबड़े उस बेंच का हिस्सा थे जिन्होंने पफैसला दिया था कि आधर कार्ड नहीं रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी पफायदों से वंचित नहीं किया जा सकता। जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े उच्चतम न्यायालय के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे।

न्यायाधीश ध्नंजय यशवंत चंद्रचूड-

अयोध्या मामले में पफैसला सुनाने जा रहे जजों की पीठ में शामिल में जस्टिस ध्नंजय यशवंत चंद्रचूड का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। इनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। जस्टिस ध्नंजय चंद्रचूड 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुत्तफ हुए। इससे पहले वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीपफ जस्टिस रह चुके हैं।

जस्टिस ध्नंजय यशवंत चंद्रचूड ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद हॉवर्ड लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई की। 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया। इसी के साथ जस्टिस चंद्रचूड एडिशनल सोलीसिटर जनरल ऑफ  इंडिया भी रहे।

साल 2018 में नवतेज जौहर वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में जिस बेंच ने समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया था उसमें जस्टिस ध्नंजय चंद्रचूड भी शामिल थे। साल 2018 में ही केरल के हदिया विवाह मामले की सुनवाई करते हुए उसके ध्र्म और जीवनसाथी के चुनाव को सही बताते हुए हदिया के पक्ष में पफैसला दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण-

अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल रहे जस्टिस अशोक भूषण का जन्म 05 जुलाई साल 1956 में यूपी के जौनपुर में हुआ था। आट्र्स स्ट्रीम के साथ बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस अशोक भूषण ने केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपनी सेवा दी। महत्वपूर्ण पफैसला- जस्टिस अशोक भूषण उस डिविजन बेंच का हिस्सा रहे जिसने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए कोशिशों की संख्या सात से बढ़ाकर दस करने की मांग की गयी थी।

जस्टिस एस अब्दुल नजीर- अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल जजों में से एक जस्टिस एस अब्दुल नजीर का जन्म 05 जनवरी 1958 को बेलूवाई ;कर्नाटकद्ध में हुआ था। महावीर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने मंगलुरु के लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल करने के बाद इन्होंने कर्नाटक हाईकोर्टबेंगलुरू में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। साल 2017 में एस अब्दुल नजीर को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। वो किसी हाईकोर्ट के चीपफ जस्टिस रहे बिना सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा बनने वाले तीसरे न्यायाधीश बने।

महत्वपूर्ण पफैसला- जस्टिस एस अब्दुल नजीर उस बेंच का हिस्सा रहे जिन्होंने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी घोषित करने का पफैसला किया था। पांच जजों की इस पीठ ने ट्रिपल तलाक के मामले में दो जजों ने इसको बनाए रखने के पक्ष में पफैसला दिया था जबकि तीन इसको बरकरार रखने के खिलापफ थे। पक्ष में फैसला देने वालों में अब्दुल नजीर भी शामिल थे। निजता के अध्किार को मौलिक अध्किार करार देने वाले बेंच का हिस्सा भी जस्टिस नजीर थे। 


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