पाकिस्तान में आम लोगों को गेहूं के आटे की किल्लत
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के कुछ प्रांत आटे की कमी से जूझ रहे
हैं। इस कारण यहां पर लोगों को रोटी तक नहीं नसीब हो पा रही।
खैबर पख्तूनख्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें आटे की कमी के चलते
बंद हो गई हैं। बलूचिस्तान, सिंध् और पंजाब प्रांत भी आटे की
किल्लत से जूझ रहे हैं।
पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने मामले का संज्ञान लिया है मगर प्रांतीय
सरकारों का दावा है कि आटे-गेहूं की कमी नहीं है और जानबूझकर यह संकट पैदा किया
गया है।
मगर जमीनी हालात को देखें तो आम लोग आटे की कमी से जूझ रहे हैं और कई
प्रांतों में नान ;एक प्रकार की रोटीद्ध की बिक्री पर भारी असर पड़ा है।
खैबर पख्तूनख्वाह में आटा संकट
पख्तूनख्वाह में स्थिति सबसे अध्कि गंभीर है। आटे की कीमतें बढ़ने के
बाद से कई शहरों में नान के कारोबार से जुड़े नानबाई यानी बेकर हड़ताल पर चले गए
हैं। इसके बाद पुलिस ने चार नानबाइयों को हिरासत में भी लिया है। इस संबंध् में
सरकार से बातचीत तो हुई लेकिन अभी तक कोई सुधर होता नहीं दिख रहा है।
पेशावर शहर में नान की कई दुकानें बंद रहने के कारण ज्यादातर लोगों
के पास अब चावल ही विकल्प है। पेशावर में आमतौर पर यह चलन है कि लोग बाहर से नान खरीदते हैं। इसीलिए शहर में ढाई हजार से भी ज्यादा नान बनाने की दुकानें हैं।
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में नानबाई एसोसिएशन ;बेकर्स एसोसिएशनद्ध
के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इकबाल ने बताया कि एक महीने पहले तक 85
किलोग्राम मैदा करीब चार हजार रुपये में मिला करता था जबकि मौजूदा समय में इसकी
कीमत बढ़कर पांच हजार के पार पहुंच गई है।
लेकिन दाम सिपर्फ आटे-मैदे के नहीं बढ़े हैं। इनके साथ-साथ गैस की
कीमतें भी आसमान पर पहुंच गई हैं। ऐसे में नान और रोटियों का दाम बढ़ना तय है। इस
सबके बावजूद सरकार का दबाव है कि रोटियों और नान की कीमतें ना बढ़ाई जाएं।
हाजी इकबाल कहते हैं कि पेशावर में साल 2013 में 170
ग्राम आटे से बने नान की कीमत दस रुपये तय की गई थी जो कि अभी तक नहीं बढ़ी है। ऐसा
तब है जबकि आटे के दाम कई कई बार बढ़ चुके हैं।
सरकार के साथ बातचीत में नानबाइयों ने मांग रखी है कि 150
ग्राम आटे से बनी रोटी की कीमत 15 रुपये कर दी जाए। लेकिन सरकार का कहना
है कि 15 रुपये वाली रोटी का वजन 170 ग्राम होना चाहिए।
पेशावर में नान एक तय कीमत पर नहीं बिकते। ज्यादातर लोग सौ ग्राम के
वजन पर रोटियां बेचते हैं और कुछ तो इससे भी कम पर।
यह पुराना मसला है लेकिन सरकार इस समस्या का अभी तक कोई हल नहीं तलाश
सकी है। केंद्र सरकार ने करीब एक महीने पहले अपफगानिस्तान को आटा निर्यात किया है
जिसके बाद से प्रांत में आटे की किल्लत और बढ़ गई है।
बाजारों से नहीं खरीदा जा रहा आटा
पेशावर के रामपुरा गेट के पास एक बड़ा बाजार है। यहां आटे के बोरे तो
हैं लेकिन खरीदार नहीं। जिन बोरों की कीमत एक महीने पहले तक साढ़े आठ सौ रुपये के
करीब थी, वही बोरे आज 11,00 रुपये की कीमत पर बेचे जा रहे हैं।
कीमतें बढ़ने की वजह से उनके खरीदारों में भी कमी आई है।
वहीं प्रांतीय सरकारों का कहना है कि पंजाब से जल्दी ही खैबर
पख्तूनख्वाह के लिए आटे की सप्लाई होनी है और बहुत जल्द खैबर पख्तूनख्वाह में आटे
की बढ़ी कीमतों और किल्लत पर काबू पा लिया जाएगा।
बलूचिस्तान में भी आटा महंगा
बलूचिस्तान में तो पहले से ही बाकी जगहों की तुलना मे आटे की कीमतें
बढ़ी हुई हैं। आटे की कीमतों की ही वजह से सरकार ने पिछले साल के अंत में खाद्य
सचिव और खाद्य महानिदेशक को निलंबित कर दिया था। सरकार का मानना है कि समय पर
गेहूं की खरीद नहीं होने से आटे के दाम बढ़े हैं।
बलूचिस्तान में सरकारी प्रवत्तफा का कहना है कि सरकार गेहूं और आटा
संकट से उबरने की कोशिश कर रही है।
सिंध् भी जूझ रहा है
सिंध् की राजधनी कराची के निवासियों को भी आटे की बढ़ी कीमतों का
सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मरुस्थलीय क्षेत्रा थार में स्थिति बेहद गंभीर है। इस इलाके
में गेहूं की खेती नहीं की जाती है।
थार की राजधनी मुथी में आटा वर्तमान में 55 रुपये प्रति
किलोग्राम की कीमत में बेचा जा रहा है, जबकि नंगरहार सहित सीमावर्ती क्षेत्रा
के गांवों में इसकी कीमत 70 रुपये से 80 रुपये प्रति
किलोग्राम है। थार रेगिस्तान कई वर्षों से सूखे से जूझ रहा है। यहां से हाल ही में
महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के कारण नवजातों की मौत की ऽबरें भी आई हैं।
पाकिस्तान में टमाटर की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है?
पिछले साल यहां बारिश हुई थी जिससे बाजरे की खेती हुई थी। लेकिन फसलें टिप्पियों के हमले, बारिश और तेज हवाओं से बुरी तरह
प्रभावित हुई थीं।
पिफलहाल स्थिति पर काबू पाने के लिए पंजाब सरकार ने 5,000 टन आटा खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत को सद्भावना के रूप में हर रोज भेजने का पफैसला किया है।